धुलिया। महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमणजी की विदुषी सुशिष्या साध्वीश्री शासन श्री पद्मावती जी एवं विदुषी साध्वीश्री निर्वाणश्री जी के संयुक्त सान्निध्य में तप अभिनंदन का कार्यक्रम सान्नद संपन्न हुआ। जलगांव से श्री मति मंजु बैद -धर्म पत्नी श्री माणकचंद जी बैद एवं श्री मती मीनाक्षी (तीसरा वर्षीतप ) धर्मपत्नी श्री शुभकरणजी जी बैद ने धुलिया में साध्वीश्री के दर्शन किए । उनके वर्षीतप के उपलक्ष में तप अभिनंदन समारोह आयोजित हुआ।
वर्षीतप अनुमोदन करते हुए शासन श्री साध्वीश्री पद्मावतीजी ने कहा- तपस्या आत्मबल से ही संभव है। देखादेखी तपस्या नही की जाती । तप में तन और मन दोनों को तपाना होता है ये दोनों देराणी – जेठाणी अपने ढृढ़ आत्मबल से वर्षीतप कर आई है। विदुषी साध्वीश्री निर्वाणश्री जी ने अपने प्रेरक व्यक्तत्व में कहा- गंगाशहर + जलगांव का बैद परिवार तपस्वी परिवार है। हम वर्षीतप की अनुमोदना कर प्रसन्नता व्यक्त करते है। तप कर्म निर्जरा है विशेष साधन है। तप में जप -स्वाध्याय का मणिकांचन योग होता है। साध्वीश्री गवेषणा ने अपने विचार व्यक्त प्रकट करते हुए तप से सम्बन्धी अनुभवों से जनता को लाभान्वित किया। तथा तपस्वी बहनों के प्रति अनुमोदना व्यक्त की। साध्वीश्री योगक्षेमप्रभाजी ने तप की महत्ता प्रकट करते हुए जलगांव के बैद परिवार की तपस्या की जानकारी दी।जलगांव सभा के अध्यक्ष माणकचंद जी बैद, धुलिया सभा के मंत्री विनोद जी घुड़ीयाल, तेममं की अध्यक्ष संगीता सूर्या ने अपने भाव व्यक्त किए। साध्वीश्री लावण्यप्रभाजी आदि साध्वियों ने विभिन्न राग-रागनियों से तपस्या के गीतों की प्रस्तुति दी। सभा की और से दोंनो बहनों का साहित्य से सम्मान किया गया। यह जानकारी संगीता सूर्या ने दी।
धुलिया में वर्षीतप अभिनंदन का कार्यक्रम सान्नद संपन्न
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