फ़िल्म ‘तर्पण’ जिस विषय पर बनाई गई है, उस पर तो अब तक कई फिल्में बन चुकी हैं, बावजूद इसके यह अन्य फिल्मों से काफी अलग है। कई ऐसे पहलुओं को भी दिखाने की कोशिश की गई है, जिन्हें बहुत कम ही छुआ गया है। दलित उत्पीड़न, अदालती कार्रवाई हो या कानून का दुरुपयोग, सब पर बराबर ध्यान दिया गया है। विषय के मद्देनजर बेहतरीन लोकेशन, असली कोर्टरूम का लुक, अस्पताल, सरल भाषा शैली से लेकर किरदार, स्क्रीनप्ले, डायलॉग और डायरेक्शन सभी बेजोड़ हैं। खास बात है कि यह फ़िल्म हफ्ते-दो हफ्ते चलने वाली फिल्म नहीं है बल्कि वर्षों तक देखी जाने वाली फिल्म है तथा इस पर चर्चा भी होगी। जाने माने लेखक शिवमूर्ति के प्रसिद्ध उपन्यास ‘तर्पण’ पर केंद्रित इस फिल्म की निर्माता-निर्देशक नीलम आर सिंह ने अपना 100 पर्सेंट देने की कोशिश की है। उनका प्रयास रहा है कि किसी भी तरह कोई भी पहलू छूटने ना पाए।
कहानीः दलित परिवार की लड़की रजपती गांव के पंडित के खेत में चुपके से गन्ना तोड़ने की कोशिश करती है तभी घात लगाए खेत में ही मौजूद पंडित का बेटा चंदर वहां पहुंच जाता है और चोरी की आड़ में रजपती के साथ जबरदस्ती करने की कोशिश करता है। जिस पर रजपती उसका विरोध करती है और हल्ला मचाती है, जिसके बाद आसपास खेतों में काम कर रही गांव की महिलाएं पहुंच जाती हैं और चंदर से गाली-गलौच करती हैं, जिसके बाद चंदर भाग खड़ा होता है। यह बात गांव में पहुंच जाती है और सारी बात रजपती की मां को भी पता चलती है। शाम को रजपती का पिता दिहाड़ी मजदूरी करके घर लौटता है। रास्ते में ही घटना की जानकारी उसे हो जाती है। घर पहुंचते ही वह रजपती से कहता है तुझे कहीं जाने की जरूरत नहीं है, घर पर ही रह। सारी बात उससे पूछता है। इसी दौरान उसकी पत्नी आ जाती है जो सारी बात बताते हुए कहती है कि बेटी का क्या दोष है। दोष तो उनका है जो इतने वर्षों से हम पर ज्यादती करते आ रहे हैं। कुछ करना है तो उसका करो, जिसने यह सब किय़ा है। गांव के लोग इकट्ठा हो जाते हैं इसी दौरान रजपती का पिता पंडित के घर जाता है। जहां उसकी काफी बहस होती है और वापस घर लौटता है। इसी दौरान एक दलित समाज के चुटभैया नेता ‘भाई जी’ भी पहुंच जाते हैं और उसके बाद शुरू होता है दलित और ब्राह्मण परिवार के बीच का असली संघर्ष। पंडित के घर जाकर रजपती का पिता क्या करते हैं, या पंडित की क्या प्रतिक्रिया होती है, कहानी आगे चलकर पुलिस स्टेशन, कोर्ट, बदला और अंत में इस पूरी घटना का ‘तर्पण’ से क्या संबंध है, यह सब जानने के लिए थिएटर जाकर यह फिल्म जरूर देखें। जो 26 अप्रैल को देश के तमाम सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है।
निर्देशनः फिल्म ‘तर्पण’ का निर्देशन खुद नीलम आर. सिंह ने किया है, जो फिल्म की निर्माता भी हैं। बतौर निर्माता-निर्देशक यह उनकी पहली फिल्म है। इसे देखकर ऐसा बिल्कुल भी नहीं लगता है कि वे पहली बार निर्देशन कर रही हैं। पूरी फिल्म दर्शकों को बांधने में कामयाब रही है। कोई भी सीन दर्शक छोड़ना नहीं चाहेगा। उल्लेखनीय है कि यह फिल्म राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अब तक विभिन्न कटेगरी में कई अवार्ड जीत चुकी है तथा तमाम फिल्म फेस्टिवल में दिखाई जा चुकी है।
स्क्रीन प्ले डॉयलॉग धर्मेंद्र वी सिंह ने लिखा है, जिनका काफी पुराना अनुभव रहा है। उन्होंने भोजपुरी से लेकर हिन्दी तक कई टीवी सीरियल और फिल्मों के स्क्रीन प्ले डायलॉग लिखे हैं। इस फिल्म में उन्होंने अपना बेहतरीन देने की कोशिश की है। फिल्म के डायलॉग – ‘पहले का होता था – एक ब्राह्मण अगर हाथ में जल लेकर श्राप दे देता था तो दोष लग जाता था। अब कानून वही ताकत उठाकर उन लोगों दे दिया है। उनको तो जल भी नहीं लेना है, बस चमार कहने की देर है।‘ एक और डायलॉग – “ साहब, झूठी रिपोर्ट लिखाने पर अगर सजा हो सकती है तो एक दलित की बेटी की इज्जत तार-तार करने की भी जरूर छोटी-मोटी सजा होगी।“ जैसे कई डॉयलॉग बेहद प्रभावी बन पड़े हैं। इनके अलावा भी कई डायलॉग थिएटर से निकलने के बाद भी याद रह जाते हैं। फिल्म में कुछ जगहों पर ‘जय भीम’ के साथ अभिवादन दिखाया गया है, जो वर्तमान में दलित समाज में काफी प्रचलित है। यह अभिवादन किरदारों और विषय को जीवंत बना देते हैं।
अभिनयः सभी अनजान चेहरे लेकिन एकदम नेचुरल अभिनय। गरीब दलित मजदूर का किरदार हो या उसकी पत्नी, बेटी या फिर पंडित, पंडित की पत्नी व उसका बेटा चंदर। यहां तक कि रजपती के भाई के किरदार व अभिवय को देखकर सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि कलाकारों के चयन का कितना ध्यान रखा गया है। कुल मिलाकर कुछ को छोड़ दें तो लगभग सारे कलाकारों ने अपने किरदार को पूरी तरह नेचुरल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
गीत-संगीतः संगीत मनोज नयन का है जबकि गीत लिखे हैं राकेश निराला ने। बैकग्राउंड म्युजिक बढ़िया बन पड़ा है। इसमें लौंडा नाच के साथ एक गीत है जो स्टोरी के हिसाब से लिखा गया है। कुल मिलाकर गीत-संगीत भी ठीक-ठाक है।
सुरभि सलोनी की तरफ से फिल्म को 3 स्टार।
दिनेश कुमार चक्रवर्ती/[email protected]
फिल्म को लेकर ‘तर्पण’ की निर्माता-निर्देशक नीलम आर. सिंह से खास बातचीत…