समता के उपवन में शांति के पुष्प खिलते है- शासन श्री साध्वी श्री सोमलताजी साम्य योगी
मुम्बई। आचार्य श्री महाश्रमण जी की विदुषी शिष्या शासन श्री साध्वी सोमलता जी के सान्निध्य में अभिनव सामायिक का आकर्षक कार्यक्रम हुआ। सैकड़ों भाई बहिनों मे समता की गंगा में स्नान किया। युवक परिषद ने मधुर स्वरों में मंगल गीत का संगान किया।
साध्वी श्री शकुन्तलाकुमारीजी व रक्षितयशाजी ने “करनी है रोज समाई, महिमा प्रभुवर ने गाई” सुमधुर गीत गाया। साध्वी जागृत प्रभा जी ने त्रिपदी वंदना व जप का प्रयोग व साध्वी संचितयशाजी ने ध्यान का प्रयोग करवाया। शासन श्री साध्वी सोमलताजी ने ओजस्वी वाणी में कहा – मुख तो बहुत सुंदर है पर नाक नहीं तो कुछ नहीं, सरोवर रमणीय है पर पानी नहीं तो कुछ नहीं उसी प्रकार सामायिक तो की पर समता का विकास नहीं किया तो कुछ नहीं पाया। क्योंकि समता के उपवन में शांति के पुष्प खिलते है।
साध्वी श्री जी ने श्रमण भगवान महावीर के पूर्व भव मरीचि का सजीव चित्रण प्रस्तुत कर सबको मुग्ध कर दिया। हाजरी का वाचन किया श्रावक निष्ठा पत्र का वाचन मुम्बई सभा के अध्यक्ष मदनलाल तातेड़ ने किया प्रवास व्यवस्था समिति के मुख्य प्रबंधक श्री मनोहर गोखरू, महामंत्री सुरेन्द्र कोठारी, महेश बाफणा, कोषाध्यक्ष गौतम कोठारी, मुंबई सभा से कार्याध्यक्ष नवरत्न गन्ना,मंत्री दीपक डागलिया सहमंत्री गौतम डागा,संगठन मंत्री नरेन्द्र सिंघवी आदि उपस्थित थे यह जानकारी तेयुप अध्यक्ष नितेश धाकड़ ने दी
समाचार प्रदाता : नितेश धाकड़