नई दिल्ली: पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने गुरुवार को एनपीआर का समर्थन करने के मामले में स्पष्टीकरण दिया। उन्होंने कुछ ट्वीट के जरिए अपनी बात रखी। चिदंबरम ने लिखा- मौजूदा राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को लेकर भाजपा का एजेंडा खतरनाक है। ये 2010 में यूपीए कार्यकाल में लागू किए गए एनपीआर से अलग है। इसमें नागरिकता पर जोर दिया गया है जबकि एनपीआर 2010 में लोगों के निवास स्थान को प्रमुखता दी गई थी।
चिदंबरम ने मांग की कि भाजपा 2010 के एनपीआर का खुला समर्थन करे। इसके मुताबिक, धर्म, जाति या जन्मस्थान से बिना भेदभाव किए सभी नागरिकों का आकलन होना चाहिए।
एनपीआर से संबंधित पुराना वीडियो सुनें: चिदंबरम
उन्होंने सोशल मीडिया यूजर्स से अपील की कि एनपीआर से संबंधित मेरा पुराना वीडियो ध्यान से सुनिए। इससे पता चला जाएगा कि हमने सामान्य नागरिकों के आकलन की बात कही थी जबकि नए एनपीआर का संदर्भ ही अलग है। चिदंबरम ने कहा- 2011 की जनगणना के समय एनआरसी पर भी चर्चा नहीं हुई थी। अगर भाजपा एनपीआर को एनआरसी से नहीं जोड़ना चाहती तो वह 2010 के प्रारूप में इसे लागू करे।
एनपीआर का पूरा नाम ‘नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर’
एनपीआर का पूरा नाम ‘नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर’ है। इसके तहत 1 अप्रैल 2020 से 30 सितंबर 2020 तक नागरिकों का डाटाबेस तैयार किया जाएगा। कर्मचारी देशभर में घर-घर जाकर नागरिकों से जानकारी एकत्रित करेंगे। सरकार ने स्पष्ट किया है कि एनपीआर अपडेशन के दौरान व्यक्ति द्वारा दी गई जानकारी को ही सही माना जाएगा, उसे कोई दस्तावेज नहीं देना होगा।