बस्ती ब्यूरो। पिछले दिनों कप्तानगंज थानन्तर्गत हुए बसपा नेता की हत्या के मामले में जातिवाद खुलकर सामने आ गई है और इसे तूल दिया है भाजपा के स्थानीय सांसद और विधयाक ने। दोनों ने ही दिन दहाड़े की गई हत्या के आरोपियों के समर्थन में पत्र लिखकर फिर से जांच की मांग की है, जबकि यह हत्या दिन दहाड़े हुई थी और इसकी चश्मदीद गवाह मृतक रामराज उर्फ गम्मज की धर्मपत्नी विजयलक्ष्मी खुद हैं साथ ही मृतक ने मृत्यु से पूर्व अपने बयान में तीनों आरोपियों का नाम लेकर बताया कि उन्होंने ही उन्हें गोली मारी है। बताते चलें कि सांसद हरीश द्विवेदी का पत्र तो संयमित है जबकि विधायक सीए चंद्रप्रकाश शुक्ल ने आरोपियों के बचाव में लिखे पत्र में क्षेत्र की जनता का हावाला देते हुए 63 वर्षीय बसपा नेता रामराज उर्फ गम्मज के निजी जीवन पर काफी टिप्पणी भी की है, जिससे प्रतीत होता है कि संभवतः उन्हें मामले को लेकर गुमराह भी किया गया है। मृतक रामराज गम्मज मृत्यु के समय लगभग 63 वर्ष के थे तथा अनुसूचित जाति से संबंध रखते थे जबकि सभी हत्या आरोपी सवर्ण (ब्राह्मण) हैं।
मृतक के भाई, चंद्रप्रकाश ने दूरभाष पर बताया कि हमने पत्र को देखा, जो काफी दुर्भाग्यपूर्ण है। इनमें आरोपियों का बचाव किया गया है, जबकि यह हत्या दिन दहाड़े हुई जिसकी चश्मदीद खुद हमारी भाभी (मृतक की पत्नी) हैं, जो उस समय उनके साथ स्कूटर पर सवार थीं। ऐसा लगता है विधायक एवं सांसद सिर्फ एक जाति का ही प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, ना कि पूरे लोकसभा व विधान सभा क्षेत्र के लोगों का। उन्होंने यह भी बताया कि इनमें से एक आरोपी पर कई संगीन मामले भी चल रहे हैं, इसके बावजूद इन नेताओं का उन्हें समर्थन करना जातिवाद नहीं तो और क्या है?
उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों रामविलास (रामराज) उर्फ गम्मज की उनके पैतृक गांव इंटहिया निवासी झिनकान तिवारी, अशोक तिवारी के साथ सिकटा निवासी उमेश शुक्ला ने सुकरौली चौराहे के पास उस समय ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं, जब वे सपत्नी अस्पताल किसी रिश्तेदार से मिलने जा रहे थे, जिसमें रामराज बुरी तरह से घायल हो गए थे। इस हमले में उन्हें कई गोलियां लगी थी तथा लखनऊ मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गयी। हमले के बाद गम्मज ने तीनों हमलावरों को पहचान लिया और मृत्यु से पूर्व पुलिस को दिए अपने बयान में इनका नाम भी लिया। जिसके बाद पुलिस तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल की सींखचों तक पहुंचाने में कामयाब रही। अब आरोपियों के पक्ष में ब्राह्मण समाज के कुछ लोगों द्वारा अभियान चलाया जा रहा है तथा पुलिस पर उनके उत्पीड़न का भी आरोप लगाया जा रहा है। जबकि पुलिस उन्हें 24 घंटे के अंदर गिरफ्तार करने में कामयाब रही थी, और उनके पास से हत्या में प्रयुक्त असलहा व पल्सर मोटरसाईकिल भी बरामद कर चुकी है।
बताते चलें कि आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद से ही उनके समाज के लोग सोशल मीडिया से लेकर सांसद विधायक तक के पास जाकर उन्हें निर्दोष बताकर उनके समर्थन में अलग-अलग तरह की दलीलें दे रहे हैं। सोशल मीडिया के जरिए मृतक बसपा नेता के अंतिम संस्कार के दिन दुबौला चौराहे पर इकट्ठा होकर प्रदर्शन की भी कोशिश की गई, जो पुलिस की सक्रियता की वजह से नाकाम रही है। यहां यह भी बताना जरूरी है कि वर्तमान स्थानीय विधायक सीए चंद्रप्रकाश शुक्ल व सांसद हरीश द्विवेदी भी ब्राह्मण समाज से हैं। लेकिन सवाल यह उठता है कि सांसद विधायक बनने के बाद भी वे लगातार एक जाति के पक्ष में ही काम कर रहे हैं, जिससे उनका जातिवाद पूरी तरह से उजागर हो गया है। बावजूद इसके मृतक बसपा नेता के साथ आरोपियों का जमीनी विवाद, दिन दहाड़े हत्या, उनकी पत्नी का चश्मदीद होना, असलहा व मोटरसाईकिल बरामद होने के बावजूद आखिर क्या वजह है कि एक समाज द्वारा अभियान चलाया जा रहा है? सांसद-विधायक द्वारा इस तरह पत्र लिखना आखिर क्या साबित करता है?
फिलहाल सभी आरोपी पुलिस कस्टडी में हैं, मामला न्यायलय के अधीन है, सभी को न्यायालय के फैसले का इंतजार करना चाहिए। बावजूद इस तरह के अभियान, टिप्पणियां, सांसद-विधायक का एक पक्ष का हाल तक नहीं जानना और दूसरे पक्ष के बारे में खुलकर पत्र लिखना कहीं न कहीं जातिवाद को हवा दे रही हैं, जो उनके कार्यकलाप पर सवाल उठाती है। इस बीच सोशल मीडिया पर एक ब्राह्मण संगठन ने भी इस मामले में सक्रियता दिखाई है, जो आरोपियों के परिवार से मिलकर बैठक भी करने वाला है।