ठाणे। साध्वी श्री अणिमाश्रीजी एवं साध्वी श्री मंगलप्रज्ञाजी के सानिध्य में ठाणा तेरापंथ सभा भवन में आचार्य महाप्रज्ञ जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में त्रिदिवसीय प्रेक्षाध्यान कार्यशाला का आयोजन ठाणे तेरापंथी सभा के तत्वाधान में वरिष्ठ प्रेक्षा- प्रशिक्षक पारसमल दुग्गड़ के निर्देशन में आयोजित हुई। जिसमें अच्छी संख्या में भाई-बहनों ने भाग लिया।
साध्वी अणिमाश्रीजी ने अपने प्रेरक उद्बोधन में कहा आचार्य महाप्रज्ञ उस व्यक्तिव का नाम है, जिनकी अनिन्द्रीय चेतना जागृत हो चुकी थी। वो प्रज्ञा के महासूर्य थे, ऋतम्भरा प्रज्ञा के धनी थी। उनकी विलक्षण मेघा ने संघ के भाल पर अनेक कालजयी आलेख लिखे है, जिन्हें पढ़-सुनकर सदियों-सदियों तक जन-मानस नई प्रेरणा प्राप्त करता रहेगा। उनके द्वारा प्रदत्त महनीय अवदानों में एक है प्रेक्षाध्यान। प्रेक्षाध्यान जीवन की दिशा को रूपांतरित करने का अमोघ साधन है। शारीरिक, मानसिक एवं भावनात्मक तंदरुस्ती की रामबाण दवा है। जो यह दवा लेगा, उसका कायाकल्प निश्चित रूप से होगा। भाई पारसजी दुग्गड़ एक मंजे हुए अनुभवी प्रशिक्षक है। समझाने की शैली विशिष्ट एवं सरल है। ठाणे सभा ने अच्छा कार्यक्रम आयोजित किया है। प्रेक्षाध्यान के प्रयोग सिर्फ कार्यशाला तक सीमित न रहे। जीवन की प्रयोगशाला में उतारे एवं रूपांतरण की दिशा में आगे बढ़े, यही पूज्यप्रवर को सच्ची भेंट होगी।
साध्वी मंगलप्रज्ञाजी ने कहा ऊर्जा के उच्चस्तरीय रूपांतरण का साधन है ध्यान। ध्यान करने वाला व्यक्ति उद्रेलित व आंदोलित कर देने वाली परिस्थिति में भी अपने आपको संतुलित रख सकता है। ध्यान अमूल्य जीवन के सुख की चाबी है। ध्यान सृजन का प्रत्येक मार्ग प्रशस्त करता है, और व्यक्ति को सफलता का मार्ग दिलाता है। जीवन यात्रा सदा लक्ष्योन्मुखी बनी रहे, इसके लिए ध्यान साधना की अपेक्षा है।
साध्वी सुधाप्रभाजी एवं साध्वी मैत्रीप्रभाजी ने मंगल संगान किया। प्रेक्षा-प्रशिक्षक पारसमल दुग्गड़ ने सुंदर व व्यवस्थित प्रशिक्षण देकर सभा को बांधे रखा। ठाणा सभा मंत्री जितेंद्र बरलोटा ने संचालन किया। सिमा सांखला, ममता श्रीश्रीमाल, कांता श्रीश्रीमाल ने प्रेक्षा गीत का संगान किया।
ठाणे में त्रिदिवसीय प्रेक्षाध्यान कार्यशाला का शुभारंभ
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