मुंबई। आचार्य श्री महाश्रमणजी की सुशिष्या शासनश्री साध्वी पदमावतीजी के सान्निध्य मे पूजा कांकरिया (साक्री ),इशिका गोगड़ ( पिम्पलनेर ) 9 की तपस्या में अनुमोदना का कार्यक्रम हुआ।
शासनश्री साध्वी पदमावतीजी ने कहा,तपस्या जीवन की सबसे बड़ी कला है।तपस्या वही कर सकता है जो पांच इंद्रियों और मन को वश में करता है।जिव्हा के लोलुपी, वासना से विकृत, मन से चंचल इंद्रियों मे आसक्त व्यक्ति आत्मा का उत्थाण नही कर सकता।
यदि आत्मा का विकास करना है तो मन को वश मे करना होगा।
लोलुपता को छोड़ना होगा।इन्द्रियों का इशिका गोगड़ 12 वर्ष की छोटी बच्ची है,पर काम बहुत बड़ा किया है।आज कांकरिया और गोगड़ परिवार दोनो ही बड़े खुश हैं।इनके तपस्या की अनुमोदना करती हूं।
साध्वी मयंकप्रभजी ने कहा तप के क्षेत्र में विरले ही आगे बढ़ते हैं।तपस्या जीवन उधर्वयात्रा है।तपस्या से ऊर्जा का संचय होता है,शक्ति का विकास होता है।भारतीय संस्कृति में तप का बडा महत्व है।
साध्वी डॉ गवेषणाजी ने कहा,तपस्या मोक्ष का रिज़र्वेशन है,सही जीवन जीने का सजेशन है ।जैन धर्म की प्रभावना का प्रमुख अंग है।
साध्वी मेरुप्रभजी ने सुमधुर गीतिका के द्वारा अपने भावों की प्रस्तुति दी।
तप की अनुमोदना में प्रेक्षा, तूलिका, प्रथम, जैनम, सिद्धार्थ, वैजंती, सपना गोगड़, पिम्पलनेर महिला मंडल की अध्यक्षा जयश्री गोगड़ आदि ने आपनी भावाभिव्यक्ति दी।पिम्पलनेर जैन समाज के अध्यक्ष सुभाष
गोगड़ ने भी तप की भूरी भूरी प्रशंसा की।पहुर की सलोनी, छाजेड ( शहादा ) ,मित्तल चोरडिया, पारसमलजी जीरावला, विमला जीरावला (कोप्पल ) साक्री तेमम की अध्यक्षा जोशीला पगारिया, तेयुप के अध्यक्ष डॉ आशीष पगारिया, हर्षा पगारिया, उज्वला, भारती,प्रेरणा, वंदना कांकरिया, तरुणा पगारिया, खान्देश सभा के मंत्री इंदरचंदजी कांकरिया, खान्देश सभा के सहमंत्री महावीर कांकरिया ,दिलीपजी कांकरिया आदि भाई, बहनों ने तपस्वियों की अनुमोदना की।सभा अध्यक्ष रूपचंदजी कांकरिया,सभा के मंत्री भोमराज जी गेलड़ा ,श्रधानिष्ठ श्रावक खेमचंद जी कांकरिया ने साहित्य भेट कर तपस्वियों का सन्मान कर बहुत बहुत शुभकामनाएं दी।
साक्री में “तप अभिनंदन समारोह” का आयोजन
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