भारतीय संस्कृति में तप का विशेष महत्व- मुनि श्री जिनेश कुमार जी
पालघर। महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री जिनेश कुमार जी ठाणा 2 के सानिध्य में तप अभिनंदन समारोह का आयोजन तेरापंथ भवन में तेरापंथी सभा द्वारा किया गया।
तप अभिनंदन समारोह में धर्मेश सिंघवी, राजेंद्र तलेसरा,भारती तलेसरा के अट्ठाई तप , टमुबाई राठौड़, कविता बदामिया के 9 दिन की तपस्या का अभिनंदन तप के संकल्पों से किया गया। मीना मांडोत सफाला ने भी अट्ठाई तप किया।
इस अवसर पर उपस्थित धर्म सभा को संबोधित करते हुए मुनिश्री जिनेश कुमार जी ने कहा भारतीय संस्कृति में तप का विशेष महत्व रहा है। तप इंद्रिय और मन को नियंत्रित कर चेतना को कुंदन बनाता है। तप भवरोग को मिटाने की उत्तम औषध है। चतुर्मास में तपस्या का विशेष माहौल बनता है। तप करने का उपयुक्त समय चातुर्मास है। पालघर में भी और आसपास के क्षेत्रों में भी तब क्रम प्रारंभ हुआ है। तपस्या करने वाले सभी भाई-बहन साधुवाद के पात्र हैं। तप से विपुल कर्मों की निर्जरा होती है। तप से काया कंचन बनती है। तब मैं आडंबर- प्रदर्शन, दिखावा नहीं होना चाहिए। सादगीमय तप की अलग ही महिमा है।
कार्यक्रम का शुभारंभ तेरापंथ महिला मंडल के मंगलाचरण से हुआ। तप अनुमोदना में तेरापंथ सभा के अध्यक्ष नरेश राठौड़, मंत्री लक्ष्मीलाल राठौड़, अणुव्रत समिति अध्यक्ष समिति अध्यक्ष देवीलाल सिंघवी,जैन विद्या केंद्र व्यवस्थापक सुखलाल तलेसरा,तेयुप अध्यक्ष हितेश सिंघवी मंत्री योगेश राठौड़, रमेश तलेसरा, नीलेश राठौड़,हितेश बदामिया, माही तलेसरा, ममता तलेसरा, चतुर तलेसरा, छगनलाल तलेसरा, रीवा तलेसरा आदि ने अपने भावो की अभिव्यक्ति दी। राठौड़ परिवार , सिंघवी परिवार, बदामिया परिवार, तलेसरा परिवार की बहनों व बच्चों ने अलग-अलग तप अनुमोदना गीत प्रस्तुत किए ।कार्यक्रम का संचालन जयेश राठौड़ ने किया।