मुंबई:मॉनसून आने से पहले हर बार रेलवे विशेष तैयारी करती है। उन सभी जगहों पर खास ध्यान दिया जाता है, जहां हर साल परेशानी होती है। इस तैयारी का जायजा स्थानीय महानगर पालिका और रेलवे द्वारा संयुक्त रूप से लिया जाता है। इस बार मध्य रेलवे के साथ कुछ ऐसा ही हुआ, जैसे प्रश्नपत्र में सिलेबस के बाहर का सवाल आ गया। मध्य रेलवे को इस बार जल-जमाव के कुछ नए स्पॉट का अचानक से सामना करना पड़ा, जिसके लिए तैयारी नहीं थी। इसी कारण हाल ही में हुई भारी बारिश में ट्रेनें थम गईं।
मध्य रेलवे के अनुसार मीठी नदी से जुड़े हुए तीन नालों की वजह से इस बार सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। इनमें जल-जमाव का सबसे नया स्पॉट था, बंटर भवन नाला। इसके बाद नेहरू नगर नाला और कामगार नगर नाला ने सबसे ज्यादा नुकसान किया। मंडल रेल प्रबंधक एस.के. जैन के अनुसार, ‘इन तीनों नालों से पानी निकलने के बजाय वापस ट्रैक पर आ रहा था। हमारे अधिकारी बारिश में तीनों स्पॉट की जांच के लिए गए। मौके पर पाया कि कुछ स्पॉट पर डेब्रीज होने के कारण पानी का वेग रुक गया था।’
इनमें से कुछ स्पॉट पर 4 मीटर के बजाय नाले की चौड़ाई 2 मीटर ही रह गई थी। नाले के आसपास अतिक्रमण के कारण ऐसा हो रहा था। 3 जुलाई की घटना के बाद मध्य रेलवे के अधिकारियों ने बीएमसी से मीटिंग कर नए स्पॉट से अवगत कराया। बीएमसी की ओर से कार्रवाई करने का आश्वासन दिया गया।
चेतावनी के कारण बरता एहतियात
मौसम विभाग द्वारा 3 जुलाई और 5 जुलाई को भारी बारिश का अनुमान लगाया गया था। इसको लेकर चेतावनी भी जारी की गई थी। 3 जुलाई को 4.69 मीटर की हाई टाइड भी आने वाली थी। एस.के. जैन का कहना है कि इसी अलर्ट के चलते 3 जुलाई को संडे टाइम टेबल पर ट्रेनें चलाने का निर्णय लिया गया था। यदि अलर्ट सही साबित होता तो शायद कोई आलोचना नहीं करता। संडे टाइम टेबल से ट्रेनें चलाने का एक दूसरा कारण भी था। 2 जुलाई की भारी बारिश के बाद लगभग 2 दर्जन लोकल ट्रेनों को सर्विस की जरूरत थी। इसके अलावा पानी भी दोपहर 3 बजे से पहले नहीं उतरा। रेलकर्मियों ने 24 घंटों में ही बारिश के कारण प्रभावित सभी ट्रेनों की सर्विस की जिसके बाद 12 बजे तक उन्हें चलाया गया। 3 जुलाई को शाम 4 बजे से ट्रेनों का परिचालन सामान्य हो गया।
मध्य रेलवे के मुंबई डिविजन के मंडल रेल प्रबंधन एस के जैन ने कहा, ‘यह हमारी प्री-मॉनसून की ही तैयारी है, जिसके कारण भारी बारिश के बावजूद एक भी यूनिट डिफेक्ट होने का केस नहीं हुआ। 540 मिमी की कुल बारिश के बावजूद 12 घंटों में ही ट्रेनें शुरू कर दी गईं। पिछली बार ऐसी ही स्थिति में ट्रेनों को सामान्य करने में 2-3 दिन लग गए थे।’