मुंबई: महानगर पालिका प्रशासन नवी मुंबईशहर को ‘टूरिस्ट सिटी’ बनाने की तैयारी में जुट गया है। इसके लिए पर्यटकों की रुचियों वाले स्थानों को चिह्नित किया जाएगा और उन्हें आधुनिक सुविधाओं से लैस करके विकसित किया जाएगा। प्राथमिक तैयारी के तहत इसके लिए महानगर पालिका किसी निजी संस्था के माध्यम से विस्तृत योजना बनाएगी।
कुछ इक्का-दुक्का स्थानों को छोड़ दें तो बिना किसी उल्लेखनीय ऐतिहासिक स्थलों वाली नवी मुंबई फिलहाल कॉन्क्रीट के जंगल के रूप में विकसित हो रहा है। इससे बचने के लिए ही अब नवी मुंबई महानगर पालिका ने अपने क्षेत्र में आधुनिक पर्यटन स्थलों को विकसित करने की तैयारी शुरू की है।
महानगर पालिका किसी एक पात्र संस्था से ‘पर्यटन विजन’ को साकार करेगी। संभावित पर्यटन स्थलों में से गवलीदेव पहाड़ी को मॉनसून के बरसाती झरनों और बाकी के 8 महीने अन्य मनोरंजक सुविधाओं के रूप में विकसित किया जा सकता है। यह पहाड़ी वन विभाग के अधिकार क्षेत्र में आती है इसलिए महानगर पालिका इसे वन विभाग से लीज पर लेकर वन संपदा को नुकसान पहुंचाए काम करना चाहती है। वहीं, बेलापुर किले के संवर्धन और विकास पर 18 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। इसी क्रम में नेरुल स्थित ‘ज्वेल ऑफ नवी मुंबई’ केंद्र का विकास और किया जाएगा। साथ ही दो टापुओं में से एक पर ‘तितली उद्यान’ बनेगा।
आय के स्रोत
मंजूरी मिलने के बाद महानगर पालिका के लिए एक अतिरिक्त आय के स्रोत तैयार हो सकेंगे। इन सभी पर्यटन स्थलों पर लगने वाले छोटे-बड़े होर्डिंग आदि से विज्ञापनों के जरिए कमाई की जाएगी।
संभावित पर्यटन स्थल
- सैकड़ों साल पुराना बेलापुर का खंडहर हो चुका किला
- पूर्वी दिशा में स्थित पहाड़ियों के बीच गवलीदेव पहाड़ी
- पश्चिमी दिशा में स्थित विस्तृत खाड़ी किनारा
- खाड़ी के बीच स्थित दो छोटे टापू
- नेरुल में बनाया जा चुका आकर्षक वंडर्स पार्क
- करीब 200 उद्यान और आकर्षक डिजाइन वाले उपनगरीय रेलवे स्टेशन
- बेलापुर की पश्चिमी दिशा में स्थित पारसिक हिल्स