मेरठ:पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक बाऱ फिर से माहौल बिगाड़ने की साजिश को अंजाम दिया गया है। सहारनपुर हिंसा के बाद 2 अप्रैल को भारत बंद के दौरान हुई हिंसा और अब बुलंदशहर में हुई हिंसा ने अधिकारियों की धड़कनें बढ़ा दी हैं और अगले 24 घंटे मेरठ मंडल के लिए विशेष माने गए हैं।
इस घटना ने एक बार फिर से सिद्ध कर दिया है कि स्थानीय खुफिया एजेंसियां और पुलिस का तंत्र फेल साबित हो रहा है। यह हालात तब हैं जब सुरक्षा एजेंसियों के द्वारा अनेक बार इनपुट दिया जा चुका है कि 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले माहौल बिगाड़ने की बड़ी साजिश हो रही है और मुजफ्फरनगर दंगे की तरह ही एक बार फिर से चुनाव से पहले माहौल बिगाड़ने की साजिश रची जा रही है।
20 अप्रैल 2017 को प्रारम्भ हुई सहारनपुर हिंसा का मामला शांत नहीं हो सका है। इसी हिंसा के बाद चर्चा में आई भीम आर्मी पूरे देश के सियासी माहौल को गरमाए हुए हैं। इसी मामले को लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती के द्वारा राज्यसभा से इस्तीफा दिया गया था और उन्होंने सहारनपुर में हत्या की साजिश रचे जाने का भी आरोप लगाया था।
बुलंदशहर क्यों है अहम
बुलंदशहर में सोमवार को तीन दिवसीय इज्तमा का समापन था। इसके आयोजकों द्वारा इसे देश के इतिहास का अभी तक सबसे बड़ा इज्तमा बताया जा रहा है। इसमें पूरे देश से ही नहीं बल्कि अन्य देशों से भी मुस्लिम समाज के लोग आये हैं और लाखों की बड़ी तादात में यहां पर मुस्लिम समाज के लोग जुटे हैं। इज्तमा के अंतिम दिन यहां पर इतने बड़े पैमानें पर गोकशी हुई और उनके अवशेषों को खुला छोड़कर माहौल भड़काने का प्रयास किया गया।
बुलंदशहर हिंसा: पश्चिमी यूपी में माहौल बिगाड़ने की साजिश
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