कांदिवली। युग प्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी की विदुषी सुशिष्या साध्वी श्री निर्वाणश्री जी के पावन सान्निध्य में अष्टमाचार्य कालू गणी की पुण्यतिथि मनाई गई।साध्वीश्री निर्वाणश्री जी के अनुसार कालू गणी महान पुण्यवान थे। उनका जीवन साधना की आंच में निखरा हुआ स्वर्ण सा था। बचपन से ही वे वैराग्य से ओतः प्रोत थे।
साध्वी डॉ योगाक्षेम प्रभा जी ने अपने प्रभावी वक्तव्य में कहा -आचार्य श्री कालू गणी का जीवन सादगी, सहजता व सरसता का संगम था। वे उच्च पद पर आसीन थे किंतु अहं कोसों दूर थे। विचारों में उच्चता व व्यवहार में सरलता उनकी पहचान थी।
साध्वी कुंदनयशा जी व साध्वी मधुरप्रभा जी ने गीत का संगान किया। सभा के मंत्री अशोक जी हिरण ने अपने उद्गार व्यक्त किए। इस अवसर पर सुश्री प्रज्ञा बाफना का साहित्य व दुपट्टे से सम्मान किया गया जिसे ज्ञानचंद जी बाफना व राजू देवी बैद ने किया। डागलिया परिवार के तीनों तपस्वी मास्टर वंश डागलिया, श्रीमती कांता डागलिया व सुनीता डागलिया ने 9 दिन तथा सौरभ दूधेडिया ने 6 दिन का तप का परिसंपन्न किया।
‘महान पुण्यवान थे अष्टमाचार्य कालू गणी- साध्वी निर्वाण श्री
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