मुंबई। क्षमा सागर आचार्य श्री महाश्रमण जी की विदुषी शिष्या शासन श्री साध्वी श्री सोमलता जी के सान्निध्य में खमत – खामणा का भव्य कार्यक्रम नई शैली में आयोजित हुआ इस मौके पर शासन श्री साध्वी श्री सोमलताजी ने जनमेदिनी के मानस को झकझोरते हुए खमत-खामणा का पर्व प्रतिवर्ष एक नया उल्लास लेकर आता है। यह पर्व निःशल्य होने का, तनाव – मुक्ति का सुंदरतम अवसर है। मैत्री और करुणा की भावना से भावित होने का है। शासन श्री जी ने आगे कहा – खमत खामणा भी करते रहें और आँखों में लाली रहे तो यह औपचारिक है। वास्तविक खमत – खामणा है वह है जिनके साथ मन-मुटाव है, बोल-चाल बंद है उनके साथ शुद्ध अन्तःकरण से खमत खामणा करके निःशल्य बन जाना। पारस्परिक सौहार्द के धागे में बंध जाना साध्वी श्री संवत्सरी महापर्व की आराधना हजार व्यक्तियों ने उपवास आदि से की। सैकड़ों भाई-बहिनों ने पौषध उपवास किए। उस दिन शासन श्री साध्वी सोमलता जी ने श्रमण भगवान महावीर के साधना काल व चन्दनबाला के आख्यान का विवेचन कर श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया ।
साध्वी शकुन्तला कुमारी जी ने सोलह सतियों का, साध्वी संचित यशा जी ने गणधर वाद, निह्नववाद का, साध्वी जागृतप्रभा जी ने प्रभावक आचार्यों के बारे में जानकारी दी। साध्वी रक्षित यशा जी ने तेरापंथ के आचार्यों के बारे में विशेष रूप से जानकारी दी। पर्युषण काल में बलिदानी साधु-संतों के बारे में जानकारी दी गई विविध रूपों में श्रावक-श्राविका समाज ने महावीर – स्तुति की खमत खामणा के अवसर पर दक्षिण मुंबई दादर, परेल, वड़ाला, एल्फिंस्टन, भायकला, लालबाग आदि के श्रावक-श्राविका उपस्थित थे और सभी क्षेत्रों के कार्यकर्त्ताओं की भी संभागिता रही पर्युषण कालीन सभी कार्यक्रमों में आचार्य महाप्रज्ञ विद्यानिधि फाउंडेशन, श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, तेरापंथ युवक परिषद, तेरापंथ महिला मंडल, अणुव्रत क्षेत्रीय संयोजक दक्षिण मुंबई आदि का सहयोग प्राप्त हुआ। यह जानकारी अशोक बरलोटा ने दी ।
समाचार प्रदाता : नितेश धाकड़