- तपस्या और धर्म साधना के मेले के रूप में परिवर्तित हुआ ठाणे भवन का नजारा
- पर्युषण महापर्व की पवित्र गंगा में स्नाक्त होने सैकड़ो की संख्या में रही सहभागिता
ठाणे। चातुर्मास के साथ ही तपस्या का उत्साह और जोश शुरू हुवा है। गुरुवर के प्रबल आशीर्वाद एवं साध्वीश्रीजी के प्रोत्साहन से सभी तपस्वियों ने अपनी धारणा से आगे तपस्या की और आगे भी प्रगतिमान है। सभी तपस्वियों के नामोल्लेख करती गीतिका साध्वीश्रीजी ने प्रस्तुत की जिसके बोल थे मीठी बासुरी,तप की बासुरी बजाते आये तपसीगण संवत्सरी पर्व पर 400 पौषध हुए जिसमे भाई-बहनों के साथ बड़ी संख्या में कन्याये और ज्ञानार्थी भी सहभागी हुए।
महिला मंडल के सुंदर, सुरीले मंगलाचरण के साथ मंगल शुरुवात हुई। ज्ञानशाला परिवार ठाणे की प्रतिबोधात्मक प्रस्तुति रही। कन्या मंडल ने अपनी एकता दर्शाते हुए गीतिका का संगान किया। भिक्षु महाप्रज्ञ ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री निर्मलजी श्रीश्रीमाल ने कहा भवन का कोना कोना अध्यात्ममय हो रहा है और आगे भी यही अपेक्षा है। सभाध्यक्ष श्री रमेश सोनी, जो स्वयं तपस्या कर रहे है, सभी तपस्वियों का सम्मान और स्वागत किया। श्री नानालाल वडाला जो 16 कि तपस्या से आगे बढ़ रहे है अपना मनोगत रखा।
शासनश्री साध्वीश्री जिनरेखाजी ने फ़रमाया, आज संवत्सरी है, अहिंसा की प्रतिष्ठा का प्रथम दिन है।आधुनिक परिवेश में अहिंसा विहीन विज्ञान वरदान की बजाय अभिशाप बन रहा है। साध्वीश्री मधुरयशाजी, साध्वीश्री श्वेतप्रभाजी, साध्वीश्री धवलप्रभाजी एवं साध्वीश्री मार्दवयशाजी ने बहुत सुंदर ढंग से जैन धर्म का इतिहास एवं आचार्य परंपरा का विश्लेषण किया व करीब शाम 5 बजे तक प्रवचन से श्रद्धालु श्रावको को बांधे रखा। सांवत्सरिक प्रतिक्रमण के पश्च्यात गितिकाओ का दौर चला। सामूहिक क्षमापना कार्यक्रम में सर्व प्रथम गुरुदेव तदः उपरांत साध्वीश्रीजी से सभी ने वंदना पाठ के साथ क्षमा याचना की।
इसी कड़ी में भिक्षु महाप्रज्ञ ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री निर्मल श्रीश्रीमाल, सभा मंत्री नरेश बाफना, तेयुप से अविनाश गोगड़, सुभाष हिंगड़, दिलीप गादिया, लक्ष्मीलाल सिंघवी, महिला मंडल से अनिता धारीवाल, रामिला बडाला, प्रिया मुथ्था, रंजना बाफना, कन्या मंडल से विधि श्रीश्रीमाल व श्रद्धा कोठारी ने सभी से क्षमायाचना की। महेंद्र कोठारी, संदीप बाफना, संदीप गोखरू, अध्यक्ष रमेश सोनी ने अपने विचार रखे आभार ज्ञापन किया। पारणा कार्यक्रम के प्रायोजक श्री विनोद कुमार, प्रदिपकुमार श्रीश्रीमाल (खिंवाड़ा-ठाणे) परिवार का अभिनंदन किया गया।
सभा की तरफ से वरिष्ठ श्रावक कन्हैयालालजी चंडालिया ने अभिनंदन पत्र का वाचन किया। साध्वीश्रीजी ने फरमाया की वर्ष के भार से निर्भार होकर निष्यल्य बने सामने वाला व्यक्ति क्षमा करें न करे हमारा अंतः करण शुद्ध करना अनिवार्य है तभी क्षमायाचना की सार्थकता है।