कोटा। साध्वी श्री अणिमाश्री जी के सान्निध्य में अणुव्रत- भवन में पर्युषण महापर्व का छठा दिन जप दिवस के रूप में समायोजित हुआ। साध्वी श्री जी ने अपने प्रेरक उद्बोधन में कहा जप आत्म अनुभव को जागृत करने का अमोध साधन है।यूँ भी कहा जा सकता है कि अध्यात्म की शक्ति से रूबरू होने का सरलतम उपाय है जप । यदि व्यक्ति जप में तन्मय बन जाए तो अध्यात्म के फल का रसास्वादन करके तृप्त बन जाएगा। जप अनुष्ठान से व्यक्ति के भीतर के केन्द्र सक्रिय हो जाते हैं। अपने
आराध्य के प्रति सर्वात्मना समर्पित बनकर पवित्र भावों से जप करना चाहिए।
साध्वीश्री जी ने जप क्यूँ , कैसे, कहां आदि की व्याख्या करते हुए कहा- जप हमेशा गुरुमुख से लेना चाहिए। गुरु मुख से ग्रहण किया हुआ जप फलदायी होता है। अनेक महत्वपूर्ण बातों की चर्चा साध्वीश्रीजी ने की। साध्वी डॉ. सुधाप्रभाजी ने कहा- पर्युषण का यह समय प्रभुमय बनने का समय है। भगवता की ओर बढ़ने का समय है। प्रभुमय बनने का मुख्य सोपान है- जप। साध्वी समत्वयशा जी ने जप-दिवस पर सुंदर गीत की प्रस्तुति दी। साध्वी मैत्रीप्रभा जी ने कुशल मंच संचालन किया।
ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाओं ने मंगल संगान की प्रस्तुति देकर पूरे वातावरण को मंगलमय बना दिया।उत्तर कोटा के पूर्व विधायक श्री प्रह्लाद गूंजल ने दर्शन कर साध्वीश्रीजी से आशीर्वाद लिया और कहा- साधु-संतों की संगति बड़ी दुर्लभ होती हैं। संत समाज के प्रकाशन्दीप होते हैं, जो समाज का मार्गदर्शन करते हैं। मंत्री धर्मचन्द जैन ने गूंजल के कार्यों की अवगत करवाते हुए कहा- ये जैन समाज के कार्यों में हमेशा आगे रहते हैं। ‘सभा की ओर से विधायक जी का सम्मान किया गया तेयूप अध्यक्ष आनंद दुगड़ ने एम. बी. बी. डी का श्री गूंजल से बेनर का अनावरण करवाया। रात्रिकालीन उपक्रम में तपस्वी संत अनोपचन्दजी
स्वामी की रोमांचकारी घटना का साध्वीश्रीजी ने प्रभावक शैली में विवेचन किया। साधी कर्णिका श्री जी ने भावों की प्रस्तुति दी।इस अवसर पर वृहद संख्या में तेरापंथ श्रावक समाज उपस्थित हुआ। पर्युषण पर्व के दौरान रात्रिकालीन जाप तेरापंथ सभा और युवक परिषद के सदस्य कर रहे है। दिन के जाप में तेरापंथ महिला मंडल अपनी सहभागिता दर्ज करा रही है।
कोटाः आत्म अनुभव को जागृत करने का अमोध साधन है जप – साध्वी अणिमाश्री जी
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