वसई। साध्वी प्रज्ञाश्रीजी ठाना 4 के सानिध्य में पर्यूषण महापर्व की आराधना चल रही है। जप तप की गंगा बह रही है।जिसमे महापर्व पर तप की बहार लेकर तपस्विनी बहन चंदा सम्पत जी बोहरा दहिसर 15 की तपस्या ओर वसई में मामीजी के नाम से प्रसिद्ध रतनदेवी कोठारी 8 की तपस्या के साथ उपस्थित हुए। इसी चातुर्मास में इससे पूर्व रतन देवी कोठारी ने 3 ओर 5 की तपस्या की थी।
साध्वी प्रज्ञाश्रीजी ने अपने मंगल उदबोधन में फ़रमाया की तपस्या आत्मा को उज्ज्वल करने का मार्ग है और इस मौसम में जहा चारोंओर हरियाली छाई रहती है वही तप की बहार भी इसी मौसम में आती है।आत्म रमण के इस पवित्र त्योहार में तप का रंग चढ़ कर आत्मा को हलुकर्मी बनाता है।
साध्वी सरल प्रभा जी ने उदाहरण के साथ तपस्वी के मनोबल की बात कही।साध्वी विनय प्रभाजी एवम साध्वी प्रतिकप्रभाजी ने गीतिका के माध्यम से तप अनुमोदना की।
पारिवारिक जन से श्री संपत जी बोहरा श्रीमती करुणा कोठारी टीना कोठारी हेमिल कोठारी ने अपनी प्रस्तुति दी। तप का अभिनंदन तप द्वारा किया गया।
वसई में पखवाड़े ओर अठाई तप का अभिनंदन
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