मालेगांव। पर्युषण पर्व के तीसरे दिवस पर सामायिक दिवस पर प्रवक्ता उपासक पारसमल जी दुगड ने सभी को जागृत करते हुए कहा पर्युषण पर्व पुरुषार्थ का पर्व है, दुसरे शब्दों में वासना को उखाड फेंकने का पर्व है। इसके लिए चाहिए चट्टान को चीर निकालने वाली निर्झर ऐसी क्षमता।
यह स्पष्ट है कि निरंकुश वासनाएँ तथा असीम मानव को दुखी बनाती है यदि मानवीय दुख और दर्द के मौलिक कारणों की खोज की जाए तो पहला कारण है-आत्मा तत्व से अपरिचित दूसरा कारण -इन्द्रियों की दासता तीसरा कारण – मन का असंयम इसके बाद अभिनव सामयिक का प्रयोग पारसमल जी दुगड ने ने सुव्यवस्थित ढंग से करवाया इसके अर्न्तर्गत स्वाध्याय के क्रम में तीर्थंकर भगवान पारस के 10 भवो की चर्चा करते हुए विस्तृत ज्ञानकारी प्रदान की।
मंगलाचरण का शुभारम उपासक रमेशजी सिंघवी व सतीश भंसाली ने सामायिक से सध जाए रे गितिका के सुमुधुर संगान के साथ समा बांध दी।
सहयोगी उपासक रमेश जी सिंघवी ने कहा समया धम्म मुदाहरे मुणी भगवान महावीर ने समता को धर्म कहा और समता की पुष्टी का एक माध्यम है सामयिक। उन्होने कहा श्रावक प्रतिक्रमण में 6 आवश्यक में पहला सामयिक आवश्यक है। सामयिक में पापकारी प्रवृति का त्याग और 18 पापों का त्याग किया जाता है . श्रावक की सामायिक 3 प्रकार की बतायी गई उसमे 6 कोटी, 8, कोटी & 9 कोटी का बारे में समझाया। उन्होने श्रावक विजयचंद जी पटवा की घटना बताई और सामायिक के द्वारा अपने कर्मों को काटकर मोक्ष जा सकते हैं।
मालेगांव में पर्युषण पर्व के तीसरे दिवस पर सामायिक दिवस मनाया गया
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