मुंबई। अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के निर्देशन में श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथ महिला मंडल मुंबई के तत्वाधान में दक्षिण मुंबई महिला मंडल द्वारा प्रतिक्रमण की कार्यशाला आचार्य श्री महाप्रज्ञ स्कूल में शासन श्री साध्वी श्री सोमलता जी के सानिध्य में आयोजित की गई। कार्यशाला का शुभारंभ नमस्कार महामंत्र के संगान से हुआ ।मंगलाचरण महिला मंडल ने किया । स्वागत भाषण प्रीति जी डागलिया ने दिया।
शासन श्री साध्वी श्री सोमलता जी ने कहा – प्रतिक्रमण आत्म निरीक्षण की विशुद्ध वैज्ञानिक प्रक्रिया है । जो व्यक्ति पूर्व रात्रि में अपनी भूलों को देखता है और पुनः नहीं करने का संकल्प करता है वह अपने लक्ष्य मंजिल को प्राप्त कर लेता है । व्यवहार में जो व्यक्ति दूसरों के दोषों को या गलती को माफ कर मैत्री के लिए हाथ बढ़ाता है वही सच्चा आत्म स्नान करता है। साध्वी श्री जी ने सरल भाषा में प्रतिक्रमण का अर्थ बताते हुए कहा – हम सब चारों गतियों में खूब घूमे । सुख-दुख के थपेड़े खाते-खाते मुश्किल से मनुष्य जन्म रूपी हीरा मिला । स्वस्थ पांच इंद्रियां मिली । धर्म श्रवण का सौभाग्य भी उपलब्ध हुआ । लेकिन प्रतिक्रमण के माध्यम से आत्म लोचन नहीं किया तो सब कुछ व्यर्थ चला गया । प्रतिक्रमण करने वाला आत्मिक सुख को प्राप्त कर सुख शांति से जीवन व्यतीत कर सकता है । पॉजिटिव विचारों में जी सकता है। साध्वी श्री शकुंतला कुमारी जी, संचित यशा जी, जागृत प्रभाजी, रक्षित यशाची ने तीर्थंकर स्तुति की। कार्यक्रम का संचालन एवं आभार ज्ञापन सह संयोजिका संगीता जी राठौड़ ने किया ।
कार्यक्रम में मुंबई महिला मंडल की उपाध्यक्षा श्वेता जी सुराणा, अणुव्रत समिति से कोषाध्यक्षा लतिका जी डागलिया, सेवा समिति से पुष्पा जी कच्छारा की विशेष उपस्थिति रही। संयोजिका प्रीति जी डागलिया, रेखा जी धाकड़ , सह संयोजिका वनिता जी धाकड़ ,संगीता जी राठौड़, अनीता जी धींग सहित कार्यक्रम में लगभग 90 श्रावक श्राविकाओं की उपस्थिति रही।
दक्षिण मुंबई में प्रतिक्रमण कार्यशाला
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