– लगभग 16 किलोमीटर विहार कर शांतिदूत पहुंचे खारड़ा ग्राम
– पूज्यप्रवर ने दी अभय बनने की प्रेरणा
26.05.2022, गुरुवार, खारडा, बीकानेर (राजस्थान)। राष्ट्र में नैतिक मूल्यों के उन्नयन के लिए अपनी पदयात्रा द्वारा सदा प्रयत्नशील जैन धर्म के प्रभावक आचार्य श्री महाश्रमण वर्तमान में बीकानेर जिले में विचरण करा रहे हैं। आज प्रातः आचार्य श्री ने ढाणी भोपालाराम से मंगल प्रस्थान किया। विहार के दौरान कई दिनों से यात्रा में साथ चल रहे लूणकरणसर पुलिस थाने के पुलिस कर्मियों ने आज आचार्य श्री से मंगल पाठ श्रवण कर विदा ली। एवं नापासर के पुलिस कर्मियों ने आगे अपना दायित्व संभाला। मार्ग में कई किलोमीटर तक कच्चा रेतीला मार्ग रहा, वहीं आकाश से सूर्य भी भीषण आतप बरसा रहा था। ऐसे में भी जन उद्धारक आचार्य श्री महाश्रमण लगभग 16 किलोमीटर की पदयात्रा कर खारड़ा ग्राम के राजकीय माध्यमिक विद्यालय में पधारे।
विद्यालय प्रांगण में धर्म देशना देते हुए शांतिदूत ने कहा- व्यक्ति को जीवन में अभय की साधना करनी चाहिए। तीर्थंकर भगवान सभी प्रकार के भय से मुक्त होते हैं। आर्हत वांग्मय में ऐसे जिनेश्वर भगवान को नमस्कार किया गया हैं, जिन्होंने भय को जीत लिया। जैन धर्म में कर्म के आठ प्रकार बताए गए हैं, जिनमें मोहनीय कर्म सब कर्मों का राजा है। मोहनीय कर्म की एक प्रकृति है भय। अभय हो जाना एक बहुत बड़ी उपलब्धि होती है। ना किसी से डरना और ना किसी को डराना। छोटे-छोटे पशु पक्षियों को भी हमारे द्वारा कष्ट न हो,भय न लगे गए, ऐसा प्रयास होना चाहिए।
आचार्य श्री ने आगे कहा कि भय के कारण व्यक्ति कई बार झूठ बोल लेता है, हिंसा भी कर देता है। परंतु दंड व अवमानना के भय से भी असत्य संभाषण नहीं करना चाहिए। सच्चाई का मार्ग ही सही मार्ग है। सत्य के सामने परेशानी आ सकती है, किंतु सत्य कभी पराजित नहीं होता। झूठ बोलना उल्टा समस्या का कारण भी बन जाता है। गृहस्थ यह ध्यान दें कि कभी अदालत में कोई स्थिति आ जाए तो भी किसी को फंसाने के लिए झूठ नहीं बोलना चाहिए। असत्य से खुद की आत्मा का भी नुकसान होता है। इसलिए व्यक्ति को अभय की दिशा में आगे बढ़ते हुए अहिंसा व सत्य की राह पर चलना चाहिए।
कार्यक्रम में तत्पश्चात लूणकरणसर के ज्ञानशाला के बच्चों ने नौ तत्वों पर सुंदर प्रस्तुति दी। आचार्य श्री द्वारा पुछने पर कई बच्चों ने भक्तामर स्त्रोत का पाठ भी गुरुदेव को सुनाया।