वरिष्ठ अभिनेता प्रदीप कबरे होंगे नाना फडवनीस के दमदार किरदार में
अमित मिश्रा/मुंबई। दिग्गज लेखक विजय तेंदुलकर की जादुई लेखनी से उद्धृत और डॉ. जब्बार पटेल के चुस्त निर्देशन से सजा सन 1972 से अब तक लगातार दर्शकों का अपार स्नेह बटोरते हुए नाटकों की दुनिया में मील का पत्थर साबित हो चुका मराठी नाटक ‘घासीराम कोतवाल’ हिंदी में मंचित होने जा रहा है। जानदार कथा, उत्कृष्ट संवाद और उत्तम अभिनय के नए आयाम छूते इसके कलाकारों की करिश्माई प्रस्तुतियों ने देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी इस भारतीय नाटक के गौरव को चार चांद लगा दिया है। मराठी भाषी नाट्य प्रेमियों के लिए जहां ये 50 सालों से गर्व और संतुष्टि का रंगीन आकाश बन गया, वहीं हिंदी नाट्य जगत ऐसे दमदार नाटक का अबतक अभाव झेल रहा था। पर अब हिंदी नाट्य दर्शकों को ज्यादा इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा। इसी नाटक का नए तेवर और नए अंदाज में मंचन करने के लिए केलिडोस्कोप और पिनाक सम्मिलित रूप से पूरी तरह से तैयार हो चुके हैं। 27 मार्च को इसके हिंदी वर्ज़न का मंचन बोरिवली के प्रबोधनकार ठाकरे हॉल में होने जा रहा है।
बता दें कि इस नाटक का निर्देशक हैं ख्यातनाम निर्देशक भालचंद्र कुबल । नाटक में घासीराम कोतवाल की भूमिका निभा रहे हैं एन एस डी प्रशिक्षित गोल्डन स्टार अभिनेता सुनील चौहान तथा नाना फडवनीस के दमदार-शानदार किरदार में होंगे मल्टी टैलेंटेड और अत्यंत अनुभवी वरिष्ठ अभिनेता प्रदीप कबरे। नितेश पठारे की प्रकाश योजना भी इस नाटक की ख़ास खूबी होगी। इसके सह दिग्दर्शक सगीर खान, निर्मिति व्यवस्थापन संतोष महाडीक और अविनाश बाबर, आनंद केलकर,
संजीव चौहान, प्रदीप कबरे, सूरज तिवारी, पंकज गंगन, प्रवीण अहिरे, अंकिता ढोकले, नेहा कदम, उत्कृष्ट अभिनेत्री व प्रसिद्ध नृत्यांगना रेखा माने, निहारिका भिड़े, ग़ौरी गोडसे, दिव्यानि रतनपाल तथा नैना राणे सहित करीब 25 कलाकार इस नाटक की रीढ़ की हड्डी बनकर अपना द बेस्ट परमारमेन्स देंगे। यकीनन हिंदी नाट्य प्रेमियों के लिए ये नाटक दर्शनीय व बेहद विशेष होगा।
बता दें कि सत्ताधारियों का प्रतीक नानासाहेब फडणवीस और ज़ुल्मी, कपटी आचरण वाला घासीराम कोतवाल इन दो व्यक्तिरेखाओं के इर्द-गिर्द घूमनेवाली कथा से परिपूर्ण ये नाटक है। कोतवाली हासिल करने के बाद घासीराम खलनायक का क्रूर मुखौटा चढ़ाता है और लगातार एक से बढ़कर एक भयंकर दृश्य सामने लाता है। NSD का अनुभव प्राप्त किये कलाकार सुनील चौहान जी की क्रूरतामंच पर तहलका मचा देगी।
वरिष्ठ रंगकर्मी प्रदीप कबरेजी नाना फडणवीस की बहुत ही ताकतवर भूमिका में हैं। उनकी देह बोली विशेष रूप से कनौज वाली हिंदी में डायलॉग डिलिवरी के साथ उनका शानदार अभिनय लाजवाब होगा। शुरू में उनके चरित्र का स्त्रीलंपट, बेपरवाह और बाद में धूर्त, बिलंदर और राजकीय चेहरा प्रकाशमान होता नजर आएगा ।परिपक्व अभिनय और आवाज़ के चढ़-उतार का यथार्थ दर्शन प्रदीप कबरेजी के नाना में स्पष्ट दिखाई देगा।
निर्देशक भालचंद्र कुबल ने इस प्रयोग के लिए ‘किर्लोस्कर रंगभूमि’ का उपयोग करते हुए रंगमंच के विशेष स्तर पर ये नाटक खड़ा किया है। अनेक कलाओंका मिश्रण और संगम करके उसका ताज़ापन कायम रखने में वे यशस्वी हुए है। मंच के दोनों तरफ वाद्यवृंद और उनकेद्वारा सादर की हुई नान्दी, लावणी, कव्वाली, कीर्तन, गाने ठोस वातावरण निर्माण करते हैं। नाटक के प्रभावशाली संगीत का श्रेय संगीतकार मंदार देशपांडे को जाता है । वैसे ही आंखों को लुभाने वाले बेहतरीन नृत्य जिसका श्रेय नृत्य निर्देशक अनिल सुतार को जाता है।
नाटक में कहीं भी ब्लैकआउट न करते हुए एक फिल्म की तरह प्रकाश योजना द्वारा विविध प्रसंग खुलते जाते हैं। नितेश पठारे की प्रकाश योजना भी इस नाटक की ख़ास खूबी है । अब देखना यह है कि मूल मराठी नाटक का ये हिंदी वर्ज़न हिंदी नाट्य प्रेमियों के दिलों में कितनी जगह बनाता है।
मराठी नाटकों का सरताज “घासीराम कोतवाल” अब हिंदी नाट्यप्रेमियों को लुभाने आ रहा है “हिंदी” में !
Leave a comment
Leave a comment