मास्को: एस-400 रक्षा प्रणाली की खरीद नई दिल्ली के सुरक्षा हितों में है। भारत में नवनियुक्त रूसी राजदूत डेनिस अलिपोव ने कहा कि भारत के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंध की धमकी से दोनों देशों के बीच सैन्य-तकनीकी सहयोग प्रभावित नहीं होगा। अलिपोव ने कहा कि लद्दाख में सीमा मुद्दे को लेकर भारत और चीन के बीच मध्यस्थता करने की रूस की कोई योजना नहीं है। रूस के राजदूत ने कहा कि यदि दोनों देश मध्यस्थता की इच्छा जताते हैं तो रूस उस पर विचार करेगा।
रूस और भारत ने अक्टूबर 2018 में एस-400 की आपूर्ति के लिए 5.43 अरब डालर (40,000 रुपये से अधिक) के करार पर हस्ताक्षर किए थे। अमेरिका कई बार भारत से इस सौदे से पीछे हटने के लिए कह चुका है। इसके लिए उसने संकेत दिया कि रूसी एस-400 प्रणाली को लेकर अमेरिकी प्रतिबंध लागू किए जा सकते हैं। अलिपोव ने रूसी समाचार एजेंसी स्पुतनिक को दिए गए साक्षात्कार में कहा, ‘अभी तक उसका (भारत के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंध की धमकी का) कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। मेरा अनुमान है कि कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।’
हाल ही में अमेरिका ने कहा था कि रूस का भारत को एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली बेचना क्षेत्र में अस्थिरता पैदा करने में मास्को की भूमिका को दिखाता है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा था कि एस-400 प्रणाली को लेकर जो हमारी चिंताएं है उनमें कोई बदलाव नहीं आया है। हम सभी देशों से गुजारिश करते हैं कि वे रूस के साथ हथियार प्रणाली को लेकर खरीद फरोख्त करने से बचें।
वहीं भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से अमेरिका की चिंताओं पर स्पष्ट किया गया था कि भारत एक स्वतंत्र विदेश नीति का अनुसरण करता है जो उसकी रक्षा खरीद एवं आपूर्ति पर भी लागू होती है और राष्ट्रीय सुरक्षा हितों से निर्देशित होती है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि एक ओर अमेरिका और भारत के बीच समग्र वैश्विक सामरिक गठजोड़ है तो दूसरी ओर रूस के साथ भी भारत का विशेष एवं विशेषाधिकार प्राप्त सामरिक गठजोड़ है।