मुंबई:यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गोरखपुर में दलित कार्यकर्ता के घर भोजन करने को लेकर शिवसेना ने निशाना साधा है। अपने मुखपत्र सामना में शिवसेना ने लिखा, “भाजपा नेता अभी भी दलितों के घर भोजन का आयोजन करते हैं और इसका प्रचार किया जाता है। इससे पता चलता है कि जाति उनके दिमाग में है और वे इसे छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं।”
सामना के जरिए आरोप लगाया गया है कि राजनीतिक फायदे के लिए देश को जाति के आधार पर बांटा गया है। इसलिए, जाति उन्मूलन कार्यक्रम महज एक दिखावा है। आज भी चुनाव लड़ने के टिकट जाति के गणित के आधार पर बांटे जाते हैं। फरवरी 2019 में प्रयागराज में सफाई कर्मियों के पैर धोने को लेकर पीएम मोदी की भी आलोचना की गई है।
‘…नहीं तो देश फिर जाति के आधार पर बंटेगा’
शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा, “मोदी ने गंगा नदी में डुबकी लगाई और फिर दलितों के पैर धोए। अब बीजेपी नेता उनके घर जा रहे हैं। जाति कब भूलोगे? हम सभी इंसान हैं और कोई जाति विभाजन नहीं होना चाहिए। लेकिन आप दलित परिवार में भोजन के लिए जाते हैं, यह सब ढोंग है। वोट बैंक की राजनीति बंद करो, नहीं तो देश एक बार फिर जाति के आधार पर बंट जाएगा।
पॉलिसी के तहत भाजपा की महाराष्ट्र यूनिट शिवसेना के मुखपत्र में आलोचना का जवाब नहीं देती है। राउत ने यह भी कहा कि यूपी में कांग्रेस, सपा और अन्य गैर-भाजपा दल फरवरी-मार्च विधानसभा चुनावों के बाद सत्ता में भाजपा की जगह ले सकते हैं। सपा नेता अखिलेश यादव को पूरी तरह से चुनाव पर ध्यान देना चाहिए और सभी को साथ लेकर चलना चाहिए। अखिलेश को लोग काफी उम्मीदों से देख रहे हैं। हम उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन बदलाव लाने की ताकत समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के पास है।