मुंबई। दक्षिण मुंबई महा तपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण जी की विदुषी शिष्या शासन श्री साध्वी श्री विद्यावती द्वितीय ठाणा 5 के सानिध्य में भगवान पार्श्वनाथ का जन्म कल्याणक दिवस महाप्रज्ञ पब्लिक स्कूल कालबादेवी में मनाया गया । इस अवसर पर तप एवं जप का विशेष अनुष्ठान किया गया। कई भाई बहनों ने यथाशक्ति उपवास, एकासन, प्रहरसी आयंबिल आदि तप कीए। जप अनुष्ठान के प्रारंभ से पूर्व गणाधिपति आचार्य तुलसी द्वारा रचित गीत “प्रभु पार्श्व देव चरणों में” का सब ने सामूहिक संगान किया। तत्पश्चात भगवान पार्श्वनाथ से संबंधित मंत्र स्तोत्र एवं स्तुति परक पद्यो का सबने एकाग्रता के साथ एक लय एवं एक तान से उच्चारण किया।
साध्वी श्री प्रियंवदा जी एवं साध्वी श्री प्रेरणा श्री जी ने स्पष्ट एवं शुद्ध उच्चारण करते हुए उपस्थित जनसमूह को उसी के अनुरूप समुच्चारित करने के लिए प्रेरित किया । साध्वी श्री विद्यावती जी ने प्रेरक उद्बोधन देते हुए कहा भगवान पार्श्वनाथ जैन जगत के 23वें तीर्थंकर थे। वे वाराणसी नगरी के महाराजा अश्वसेन एवं महारानी वामादेवी के पुत्र थे । उनकी जन्मतिथि पौष कृष्णा दशमी थी। राजकुमार अवस्था में उन्होंने नाग और नागिन के जोड़े को नमस्कार महामंत्र सुना कर भारी उपकार किया था।
दीक्षित होकर भगवान पार्श्व ने जन-जन को आत्म कल्याण की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया था। भगवान पार्श्वनाथ एक अलौकिक, प्रभावशाली, अतिशय धारी तीर्थंकर थे। उनके जप में वर्तमान में भी बड़ी चमत्कारिक शक्ति है। उनके जप से भीतर नई ऊर्जा प्राप्त होती है । इस अनुष्ठान में दक्षिण मुंबई का श्रावक समाज अच्छी संख्या में उपस्थित थे।
- समाचार प्रदाता : नितेश धाकड़