नई दिल्ली:एक तरफ पाकिस्तान की आवाम महंगाई और भ्रष्टाचार से त्राहि-त्राहि कर रही है। वहीं दूसरी तरफ यहां के प्रधानमंत्री और आर्मी चीफ सत्ता के लिए आपस में लड़ रहे हैं। हालात इस कदर खराब हैं कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के साथ गठबंधन में शामिल राजनैतिक दल भी उनसे दूरी बनाने लगे हैं। वहीं इमरान की तालिबान समर्थक नीतियां भी उन पर भारी पड़ रही हैं। इससे इमरान की कुर्सी भी दांव पर लग गई है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री और आर्मी चीफ जनरल बाजवा के बीच मतभेद बढ़ने की बातें सामने आ रही हैं। दोनों के बीच मतभेद की जड़ में है नए आईएसआई मुखिया। असल में लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम आईएसआई चीफ का पद संभालने वाले हैं। जबकि प्रधानमंत्री इमरान खान चाहते हैं कि वर्तमान आईएसआई मुखिया लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद अपने पद पर बने रहें।
गौरतलब है कि पिछले कुछ वक्त में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान लगातार कमजोर पड़ रहे हैं। कमजोर अर्थव्यवस्था, बढ़ते कर्ज और महंगाई के चलते उनके नेतृत्व पर सवाल उठे हैं। वहीं सिराजुद्दीन हक्कानी की मदद से तहरीक-ए-तालिबान के साथ शांति समझौते की राह तलाशने पर पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस गुलजार अहमद ने इमरान को लताड़ा है। वहीं बरेलवी तहरीक-ए-लब्बाइक की मांगों को मान लेने और उनके ऊपर से प्रतिबंध हटाकर उनके नेताओं को जेल से रिहा करने के मामले ने भी इमरान खान की मुश्किलें बढ़ाई हैं। इस्लामाबाद की गतिविधियों से वाकिफ लोगों के मुताबिक पाकिस्तान में हालात कश्मकश से भरे हुए हैं। यहां सभी मेजर जनरल लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम को रिपोर्ट करने लगे हैं जो पहले ही रावलपिंडी पहुंचकर आईएसआई के मुखिया की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार हैं।
राजनीतिक हालात नाजुक
एक विशेषज्ञ ने बताया कि पाकिस्तान में राजनैतिक हालात बेहद नाजुक हैं। इस बात की तगड़ी अफवाह है कि नए आईएसआई मुखिया को लेकर इमरान खान और बाजवा में लड़ाई चल रही है। इस विशेषज्ञ के मुताबिक अपुष्ट रूप से यह भी सूचना है कि 111 रावलपिंडी ब्रिगेड देश में किसी भी हालात का सामना करने के लिए तैयार है। यह भी खबरें आ रही हैं कि तहरीक-ए-इंसाफ सरकार के गठबंधन में शामिल पार्टियां, जैसे एमक्यूएम और पीएमएल-क्यू भी दूसरे राजनीतिक विकल्पों की तलाश में हैं।
तालिबान का साथ देना वजह
असल में जनरल बाजवा के वर्तमान आईएसआई चीफ को उनके पद से हटाने के पीछे कई वजहें हैं। इनमें सबसे अहम वजह यह है कि लेफ्टिनेंट जनरल हमीद के काबुल की तालिबानी सरकार, खासतौर पर सिराजुद्दीन हक्कानी से संबंध हैं। एक तरफ पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान अफगानिस्तान को भारत के खिलाफ अपनी रणनीति में शामिल करना चाहते हैं। वहीं जनरल बाजवा का मानना है कि तालिबान की खतरनाक आइडियोलॉजी पाकिस्तान के लिए नुकसानदेह हो सकती है। पाकिस्तानी आर्मी चीफ अफगानिस्तान द्वारा डूरंड लाइन के पार चलाए जा रहे शासन से खुश नहीं हैं।