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श्रीलंका में सत्तापलट: रानिल विक्रमसिंघे बर्खास्त, पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे बने नये PM

Last updated: October 27, 2018 10:37 am
admin
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4 Min Read
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कोलंबो:श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना ने शुक्रवार को एक नाटकीय घटनाक्रम में प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को बर्खास्त कर दिया है और उनकी जगह पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया है। राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से शुक्रवार को जारी एक बयान में यह जानकारी दी गई।
सिरीसेना और विक्रमसिंघे के बीच आर्थिक और सुरक्षा नीतियों पर मतभेद के बाद यह घटनाक्रम सामने आया है। इससे पहले सिरीसेना की पार्टी ने अचानक से सत्तारूढ़ गठबंधन से समर्थन वापस ले लिया था।
राष्ट्रपति कार्यालय के बयान में कहा बया, राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को बर्खास्त कर उनकी जगह पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया है। वहीं राजपक्षे ने ट्वीट कर खुद के प्रधानमंत्री बनने की जानकारी दी है। गौरतलब है कि महिंद्रा राजपक्षे को ही मौजूदा राष्ट्रपति सिरीसेना ने पिछले राष्ट्रपति चुनावों में सीधी टक्कर में हराया था।
मैं अभी भी प्रधानमंत्री: विक्रमसिंघे
रानिल विक्रमसिंघे ने कहा है कि राजपक्षे का शपथ लेना असंवैधानिक है। उन्होंने कहा कि वह अभी भी श्रीलंका के प्रधानमंत्री हैं। वहीं गठबंधन सरकार में मंत्री रहे यूएनपी के ही मंगला समरवीरा ने ट्वीट किया कि राजपक्षे की प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्ति असंवैधानिक और गैरकानूनी है। ये गैर लोकतांत्रिक तख्तापलट है।
हफ्तों से जारी थी खींचतान
राजपक्षे की प्रधानमंत्री के पद पर नियुक्ति अप्रत्याशित है। राजपक्षे और सिरीसेना एक दूसरे के विरोधी रहे हैं। सिरीसेना राष्ट्रपति चुनाव में राजपक्षे को हराकर ही शीर्ष पद पर काबिज हुए थे। यह घटनाक्रम ऐसे समय सामने आया, जिससे पहले सिरीसेना और विक्रमसिंघे के बीच आर्थिक नीतियों और सरकार के रोजमर्रा के प्रशासन को लेकर कई सप्ताह से खींचातानी चल रही थी। पिछले सप्ताह ही खबर आई थी कि सिरीसेना ने अपने वरिष्ठ गठबंधन साझेदार यूएनपी पर उनकी और रक्षा मंत्रालय के पूर्व शीर्ष अधिकारी गोताभया राजपक्षे की हत्या की कथित साजिश को गंभीरता से नहीं लेने का आरोप लगाया। गोताभया राजपक्षे पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के भाई हैं।
गठबंधन सरकार से खींचा हाथ
इससे पहले सिरीसेना के राजनीतिक मोर्चे यूनाइटेड पीपुल्स फ्रीडम अलायंस (यूपीएफए) ने घोषणा की थी कि उसने मौजूदा गठबंधन सरकार से समर्थन वापस लेने का फैसला किया है। यह गठबंधन यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के साथ था जिसके नेता रानिल विक्रमसिंघे अब तक प्रधानमंत्री थे। कृषि मंत्री और यूपीएफए के महासचिव महिंदा अमरवीरा ने कहा कि यूपीएफए के फैसले से संसद को अगवत करा दिया गया है। राजपक्षे की सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे सिरीसेना ने उनसे अलग होकर राष्ट्रपति चुनाव लड़ा था।
श्रीलंका फ्रीडम पार्टी (एसएलएफपी) और यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) की गठबंधन सरकार उस समय संकट में आ गई थी, जब पूर्व राष्ट्रपति राजपक्षे की नई पार्टी ने फरवरी में स्थानीय चुनावों में जबरदस्त जीत हासिल की थी, जिसे सत्तारूढ़ गठबंधन के लिए जनमत संग्रह माना गया।
संवैधानिक संकट की आशंका
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि सिरीसेना का फैसला श्रीलंका में संवैधानिक संकट पैदा कर सकता है। संविधान के 19वें संशोधन के मुताबिक, बहुमत हासिल किए बिना वह विक्रमसिंघे को पद से नहीं हटा सकते। राजपक्षे और सिरीसेना की पार्टी को मिलाकर 95 सीट है, जो बहुमत से दूर है। विक्रमसिंघे की यूएनपी के पास 106 सीट हैं जो बहुमत से महज 7 सीट दूर है। यूएनपी ने भी कहा था कि सिरीसेना को विक्रमसिंघे को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं है।

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