By using this site, you agree to the Privacy Policy and Terms of Use.
Accept
सुरभि सलोनीसुरभि सलोनीसुरभि सलोनी
  • national
  • state
  • social
  • entertainment
  • local
  • Video
Reading: शिक्षक होते है बच्चों के उज्जवल भविष्य के निर्माता
Share
Font ResizerAa
सुरभि सलोनीसुरभि सलोनी
Font ResizerAa
  • national
  • state
  • social
  • entertainment
  • local
  • Video
Search
  • Business
  • entertainment
Have an existing account? Sign In
Follow US
  • Advertise
© 2022 Surabhi Sloni All Rights Reserved.
Articles

शिक्षक होते है बच्चों के उज्जवल भविष्य के निर्माता

Last updated: September 5, 2018 12:15 pm
admin
Share
11 Min Read
symbolic picture
SHARE

तेजबहादुर सिंह भुवाल।।
शिक्षक की भूमिका बच्चों के उज्जवल भविष्य को तरासने और सवारने का कार्य करती है। शिक्षक के द्वारा दिए गए ज्ञान से बच्चे अपनी जिन्दगी में कामयाम होते है। शिक्षकों का उद्देश्य सिर्फ शिक्षा देना ही नहीं, बल्कि समाज में स्थापित बुराईयों को दूर कर उनका व्यक्तिव निर्माण करना भी है। शिक्षा का अर्थ किताबी ज्ञान नहीं, बल्कि अनुशासन में रखकर चरित्र निर्माण, सद्गुणी, संस्कारी एवं स्वच्छ विचार उत्पन्न करने का होता है। शिक्षक अपने ज्ञान और अनुभव से बच्चों में अच्छे संस्कार डालते है, जिससे वे अनुशासन के साथ जीवन के संघर्ष को प्राप्त शिक्षा से सरल बनाने की कला सीखते हैं। हालाकि बच्चों के जन्म के बाद प्रथम गुरू माता-पिता ही होते है, जो घर पर बच्चों में व्यवहारिक ज्ञान, संस्कार डालते हैं। लेकिन गुरू का स्थान माता-पिता के बढ़कर होता है। जिस प्रकार किसी इमारत को मजबूती प्रदान करने के लिए उसकी नींव मजबूत बनानी होती है, ठीक उसी प्रकार बच्चों को छोटी उम्र से ही संस्कार डालने होते है, जो शिक्षक ही उसके उज्जवल भविष्य के लिए संस्कार, भौतिक, सामाजिक और आध्यात्मिकता की शिक्षा दे सकता है। बच्चा अपने बाल जीवन में जो शिक्षा और संस्कार प्राप्त करता है, वह बच्चा उस शिक्षा के ज्ञान से अपने जीवन में आने वाले समस्याओं और कठिन परिस्थितियों का सरलता से सामना कर सकता है। बच्चों को भी चाहिए कि वे अपने गुरूओं का सदा आदर एवं सम्मान करें और उनके द्वारा सीखाये गये अच्छे संस्कार और ज्ञान का स्मरण रख जीवन में पालन करें।
भारत देश में 05 सितम्बर को डाॅ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के जन्मदिन पर उनके द्वारा दिए गए शिक्षा जगत में सराहनीय योगदान के कारण पूरे देश में शिक्षक दिवस के रूप में मनाता है। डाॅ. राधाकृष्णन राष्ट्रपति बनने पर शिक्षा को एक नई ऊॅचाईयों पर ले गए। उनके विचार में शिक्षक का हकदार वहीं है, जो लोगों से अधिक बुद्धिमान, विनम्र और एक जिम्मेदार नागरिक बनाने वाला हो।
एक वक्त था जब गुरू और शिष्य एक सूत्रधार की तरह होते थे, शिष्य के मन की बात गुरू देखकर ही समझ जाते थे, कि शिष्य को क्या समस्या है। गुरू अपने शिष्य को कठिनाईयों का सामना करना और जीवन के बहुत से चक्रव्यूह से निकलने का ज्ञान प्रदान करते हैं। जिस प्रकार शिष्य को एक अच्छे गुरू की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार गुरू भी अपने सर्वश्रेष्ठ शिष्य को पाकर धन्य हो जाते हैं। गुरू के द्वारा दिए गए ज्ञान से शिष्य अपने एवं अपने गुरू, समाज और देश का नाम रोशन करता है, जिससे गुरू का हृदय गर्व से भर जाता है।
सदियों से शिक्षा का बहुत बड़ा महत्व रहा है और गुरूओं का स्थान सबसे ऊपर रखा गया है। बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए आश्रम शाला में भेजा जाता था, जहां वह गुरूओं के पास रहकर शिक्षा, अस्त्र-शस्त्र, वेद, पुराण एवं व्यवहारिक ज्ञान दी जाती थी। गुरू बच्चों में संस्कार देकर अंधकार मय जीवन से प्रकाशमान बनाने का प्रयत्न करते हैं। द्वापर युग में गुरू द्रोणाचार्य की शिक्षा से अर्जुन सर्वश्रेष्ठ धर्नुधारी बने थे, उसी प्रकार अर्जुन भी गुरू द्रोणाचार्य को पाकर धन्य हुए थे। उसी प्रकार त्रेता युग में गुरू वशिष्ट से उनके आश्रम में श्री रामचन्द्र जी ने ज्ञान प्राप्त किया था। वे अपने मृदुल, जनसेवायुक्त भावना और न्यायप्रियता और ज्ञान से मर्यादा पुरूषोत्तम बने। उन्होंने कई राक्षसों सहित अहंकारी दुष्ट रावण को मारकर लंका को जीता था।
बच्चों का मन-मस्तिष्क एक कच्ची मिट्टी के समान होता है। इस कच्चे मिट्टी में शिक्षक अपने संस्कार डालकर एक सुन्दर आकृति बनाकर उज्जवल भविष्य निर्माण में अहम भूमिका अदा करते हैं। जिस प्रकार एक शिल्पकार अपने अनुभवों और ज्ञान से पत्थर को तरासकर सुंदर आकृति बनाता है, उसी प्रकार शिक्षक अपने शिष्य को अनुशासन और संस्कार देकर ज्ञानवान बनाता है।
प्रारंभिक शिक्षा से बच्चे घर, परिवार, समाज एवं आस-पडोस से ज्ञान अर्जित करते हैं, उस ज्ञान को वह लम्बे समय के लिए स्मरण रखते हैं और उस ज्ञान से वे अपने जीवन में अमल करते हैं। इसलिए बच्चों में व्यवहारिक, सामाजिक एवं भौतिक ज्ञान का होना आवश्यक है। शिक्षा से प्राप्त ज्ञान से आने वाले समय में किसी भी परिस्थितियों में बालक सभी समस्याओं का निराकरण करने में सक्षम हो सकते हैं। हर बालक के लिए शिक्षा का बहुत बड़ा महत्व है। शिक्षा को मानव व्यक्तित्व के विकास का साधन माना जाता है और शिक्षा का स्तर ही व्यक्ति को समाज में मान-सम्मान दिलाता है।
जरूरी नहीं कि गुरू सिर्फ स्कूल या काॅलेज में ही मिले। गुरू तो कहीं भी कभी भी मिल जाते हैं, जो हमें अनेकों ज्ञान की बाते बताते है, पर एक अच्छे गुरू का मिलना सौभाग्य की बात होती है, जिसे पाकर जीवन की कठिनाओं को सरलता से जीने का राह बताए। गुरू अपने अनुभव और ज्ञान के समुन्दर से हम पर ज्ञानामृत की वर्षा करते हैं, पर जो ज्ञान बचपन में प्राप्त होती है, वह ज्ञान जीवन भर काम आती है।
आज शिक्षा का उद्देश्य बच्चों को शिक्षा प्रदान करना नहीं बल्कि अपने आजीविका के लिए भरण-पोषण करना हो गया है। शिक्षक अपने स्वार्थ के लिए शिक्षण कार्य करते हैं। वे शिक्षा के माध्यम से बच्चों में संस्कार तो डालते पर जो अनुशासन और चरित्र निर्माण करना चाहिए, जिससे वह भटक जाते हैं। शिक्षा का व्यवसायीकरण बन गया है। आज के समय में गुरू और शिष्य का संबंध पहले जैसे नहीं रहे। एक तरफ शिक्षकों की मनोदशा के बारे में भी सोचने की जरूरत है, तो दूसरी तरफ शिक्षकों को मिलने वाले सम्मान में भी कमी आ रही है। समाज शिक्षकों के कंधों पर बच्चों के भविष्य निर्माण का भार तो सौंप देते हैं, पर शिक्षकों के प्रति अपने दायित्वों को भूल जाते हैं। समाज, शासन और शिक्षा में तालमेल न होने के कारण शिक्षकों के सामाजिक स्थान एवं दर्जे में भारी गिरावट आ गयी है। शासन को चाहिए कि शिक्षको का ससम्मान दर्जे के साथ उनकी सुविधाओं का ध्यान रखा जाए और शिक्षा की उत्तम व्यवस्था की जाए, ताकि शिक्षक केवल शिक्षण कार्य कर बच्चों को संस्कारी और ज्ञानवान बना सके। वर्तमान परिवेश में जो शिक्षा का व्यवसायीकरण चल रहा है उसे तत्काल रोक लगाकर शिक्षा के गिरते स्तर को शिक्षा गुणवत्ता बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए। आज शिक्षकों को शिक्षा के अलावा अन्य कई कार्यों में संलिप्त किया जाता है, जनगणना, मतगणना एवं अन्य सर्वे जैसे कार्यो में लगा दिया जाता है। इस प्रकार के कार्यों से शिक्षक शिक्षण कार्यों से दूर होकर शिक्षा के प्रति जिम्मेदारी कैसे निभा पाएंगे? शिक्षकों को सिर्फ शिक्षण कार्य कराया जाना चाहिए, जिससे बच्चों का भविष्य बनाने में किसी प्रकार की समस्या उत्पन्न न हो सके।
अच्छे शिष्यों के कारण गुरू का मान बढ़ता है और सम्मान भी मिलता है। वर्तमान समय में बहुत से बदलाव भी हुए है, जिससे शिक्षक और शिष्य के बीच एक दूसरे के प्रति विश्वास में कमी आई है। अब बच्चे इंटरनेट के माध्यम से गुगल गुरू बना लिए है, जिससे सभी समस्याओं के लिए इंटरनेट के माध्यम से समाधान ढूंढ लेते है। ऐसे में एक कुशल गुरू की आवश्यकताओं में कमी आ रही है। बच्चे इंटरनेट गुगल के प्रभाव से अपने लक्ष्य से भटक रहे हैं, जो उनके भविष्य के लिए हितकर नहीं है। घर पर बच्चों को छोटी उम्र से ही मोबाईल, टेब, टीवी, एफएम रेडियों, विडियो गेम आदि दे दिया जाता है, जिससे बच्चों के मन में बचपन से ही उसकी लत लग जाती है और शिक्षा के प्रति उनकी इच्छा कम होने लगती है। इसलिए बच्चों को इन सभी चीजों से दूर रखना चाहिए। वर्तमान समय में विदेशी सभ्यताओं ने हमारे देश में जगह बना लिया है, जिसके कारण हमारे आहार-विहार, आचार-विचार और दिनचर्या बदल रहे है, जिससे बच्चों के मन-मस्तिष्क में गलत धारणा समाहित हो रही है। इस विदेशी चकाचैंध को तत्काल रोकने की आवश्यकता है।
आज के समय में बच्चांे को समय के अनुसार शिक्षा देनी चाहिए, ताकि वह सर्वोत्तम शिक्षा प्राप्त कर एक अच्छा डाॅक्टर, इंजीनियर, वकील, जज, पायलेट, प्रशासनिक अधिकारी या फिर अपने आप में आत्मनिर्भर बन सके। इसके अलावा व्यवहारिक, सामाजिक एवं अध्यात्मिक ज्ञान का होना अति आवश्यक है, जिससे वह समाज को सही दिशा प्रदान करने में समर्थ हो वहीं दूसरी ओर आध्यात्मिक ज्ञान के अभाव में वह किसी गलत निर्णय लेकर परिवार, समाज और देश को विनाश की ओर ना ले जाए।
बच्चे अपने जीवन में परिवार, समाज और देश के उत्थान के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं। जरूरत है बच्चों को सही दिशा दिखाने की। आज के बच्चे कल का भविष्य है, जो आने वाले समय में देश के विकास के लिए अपने ज्ञान के भंडार से विकसित करेंगे और देश को सबसे समृद्धशाली बनाने का प्रत्यत्न करेंगे। सभी गुरूओं को प्रणाम है, जिन्होंने अपने जीवन में शिष्यों को अच्छे संस्कार और ज्ञानामृत प्रदान कर उनके जीवन को उज्जवल किया है।

Sign Up For Daily Newsletter

Be keep up! Get the latest breaking news delivered straight to your inbox.
[mc4wp_form]
By signing up, you agree to our Terms of Use and acknowledge the data practices in our Privacy Policy. You may unsubscribe at any time.
Share This Article
Facebook Whatsapp Whatsapp Telegram Email Copy Link Print
Share
What do you think?
Love1
Sad0
Happy1
Sleepy0
Angry0
Dead0
Wink0
Previous Article अंधेरी के गोखले ब्रिज पर मलबे के कारण लगा रहता है जाम, यात्री परेशान
Next Article हिरासत में लिए गए पूर्व IPS अधिकारी संजीव भट्ट
Leave a Comment Leave a Comment

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Live Cricket Scores

Latest News

मिलिए आमिर खान स्टारर फिल्म ‘सितारे ज़मीन पर’के इस सितारे से
entertainment
May 22, 2025
‘देश के हर कोने से मिल रहे प्यार और पॉजिटिविटी से अभिभूत हूं!’ : एनटीआर
entertainment
May 22, 2025
शूटिंग से ब्रेक लेकर परिवार संग नजर आए यश
entertainment
May 22, 2025
सितारे ज़मीन पर की टीम की सबसे गुस्सैल किरदार, सिमरन उर्फ़ गोलू से हो जाइए रूबरू!
entertainment
May 22, 2025

Sign Up for Our Newsletter

Subscribe to our newsletter to get our newest articles instantly!

[mc4wp_form id=”847″]

Follow US
© 2023 Surabhi Saloni All Rights Reserved. Disgen by AjayGupta
  • About Us
  • Privacy
  • Disclaimer
  • Terms and Conditions
  • Contact
adbanner
Welcome Back!

Sign in to your account

Username or Email Address
Password

Lost your password?