मुंबई। तेरापंथ धर्मसंघ के महासूर्य आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनिश्री महेन्द्र कुमार जी के ऐतिहासिक चातुर्मास में चेम्बूर समाज एवं पूरा चोखला तपस्या की गंगा में निष्णात हो गया। यहां पर छोटे-छोटे बच्चो एवं श्रावक श्राविकाओं ने तपस्या की गंगा में अपने आप को कंचन बनाया है। इस गौरवशाली इतिहास में जुड़े हैं तीन मासखमण सौ से अधिक अठाई एवं पांच सो से अधिक तेले हुए हैं।
इस चातुर्मास में तपस्वी मुनि अजीत कुमार जी का ऐतिहासिक महासर्वतोभद्र तप परिसम्पन हुआ तथा और भी कई अनगिनित तपस्याएं हुई। इस तप अभिनन्दन समारोह में मुनि श्री महेंद्र कुमार जी स्वामी ने सभी तपस्वियों को आशीर्वाद प्रदान करवाया। मुनि श्री जम्बुकुमार जी ने फरमाया तप केवल निर्जरा के लिए किया जाता है। तप की अनुमोदना से तप करने की भावना जागृत होती है।क्रोध एवं आवेश से मुक्ति भी बहुत बड़ा तप है। सिग्नेचर बिजनेस पार्क में चेम्बूर के श्रावक श्राविकाओं ने तप की अमिट छाप छोड़ी है। इस अवसर पर मुनिश्री सिद्ध कुमार जी ने नवरात्रिक अनुष्ठान एवं डालिम चरित्र का वाचन किया। कार्यक्रम गरिमामई रहा।
तपोमय बनी चेम्बूर की धरा
Leave a comment
Leave a comment