नई दिल्ली:तालिबान ने कहा है कि उसे इस्लामिक स्टेट से लड़ने के लिए अमेरिका के सहयोग की जरुरत नहीं है। तालिबान ने अमेरिका से दो टूक कहा है कि वो आईएसआईएस से निपटने में खुद ही सक्षम है। पुराने शत्रु रहे तालिबान और अमेरिका के अधिकारी शनिवार और रविवार को एक जगह जमा होने वाले हैं और दोनों देशों के अधिकारियों के बीच कई मुद्दों पर बातचीत होनी है। कतर की राजधानी दोहा में तालिबान के वरिष्ठ अधिकारी और यूएस के प्रतिनिधियों की यह मुलाकात शनिवार और रविवार को होनी है।
इस बैठक से पहले तालिबान ने साफ किया है कि कई वो अहम मुद्दों पर किसी भी तरह के समझौते के लिए तैयार नहीं है। इस बैठक को लेकर तालिबान और यूएस के अधिकारियों ने पहले बताया था कि इस बैठक में आईएसआईएस पर लगाम कसने और अफगान से विदेशी नागरिकों के बाहर निकलने में आ रही परेशानियों के विषय पर चर्चा होगी। तालिबान ने पहले ही इशारा किया है कि वो नागरिकों के अफगानिस्तान से निकलने के मुद्दे पर लचीला रवैया अपनाएगा।
तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने न्यूज एजेंसी एपी से बातचीत में कहा कि अफगानिस्तान में काफी तेजी से सक्रिय हुए इस्लामिक स्टेट ग्रुप को लेकर वॉशिंगटन से कोई सहयोग नहीं चाहिए। बता दें कि आईएस ने अफगानिस्तान में कई हमलों की जिम्मेदारी ली थी। इसमें हाल ही में हुआ एक सुसाइड अटैक भी शामिल है, जिसमें 46 लोगों की मौत हो गई थी और दर्जनों लोग जख्मी हो गए थे।
जब सुहैल शाहीन से पूछा गया कि क्या तालिबान इस्लामिक स्टेट से निपटने के लिए यूएस के साथ काम करेगा। इसपर शाहीन ने कहा कि ‘हम अकेले ही उनसे निपटने में कारगर हैं। आईएस ने साल 2014 से अफगानिस्तान में पांव पसारना शुरू किया था। तब से इस खूंखार आतंकी संगठन ने कई शिया मुस्लिमों को मौत के घाट उतारा है। इसके अलावा आईएस यूनाइटेड स्टेट्स के लिए भी बेहद ही खतरनाक साबित हुआ है।
इसी साल अगस्त के महीने में अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान से लौटे हैं। 20 साल तक वहां रहने के बाद अमेरिकी सैनिकों के वापस आने के बाद तालिबान ने आक्रमकता दिखाते हुए अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद दोहा में यूएस और तालिबान के बीच होने वाली यह पहली बैठक है। यूएस ने साफ किया है कि यह बैठक तालिबान को स्वीकृति देने से संबंधित बिल्कुल नहीं है। दोहा में बातचीत के दौरान यूएस के अधिकारी तालिबान को उसके उस वादे की भी याद दिलाएंगे जिसमें उसने कहा था कि वो अमेरिकियों और अन्य देशों के नागरिकों को अफगानिस्तान छोड़ कर जाने की अनुमति देगा। इसमें अफगानी भी शामिल हैं।
अभी हाल ही में पाकिस्तानी अधिकारियों औऱ यूएस के अधिकारियों के बीच एक बैठक इस्लामाबाद में हुई थी। इस बातचीत के दौरान भी अफगानिस्तान ही मुख्य मुद्दा था। पाकिस्तानी अधिकारियों ने अमेरिका से आग्रह किया ता कि वो अफगानिस्तान की नई सरकार के साथ बातचीत करे और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसे आर्थिक सहयोग दिया जाए ताकि देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ाया जा सके।