- पर्युषण महापर्व : अणुव्रत चेतना दिवस
- शांतिदूत ने दी अहंकार से बचने की प्रेरणा
08 सितम्बर 2021, बुधवार, आदित्य विहार, तेरापंथ नगर, भीलवाड़ा। धर्म का मूल विनय है। जीवन में कोई व्यक्ति कितना ही बड़ा बन जाए, किसी विद्या, कला में विशेष पारंगत बन जाए लेकिन भीतर में कभी अहंकार की भावना नहीं आनी चाहिए। उपलब्धि होने पर भी घमंड नहीं करना बड़ी बात होती है। व्यक्ति सोचे की मैंने अभी पाया ही क्या है, मुझसे भी अधिक प्राप्त करने वाले इस दुनिया में है। ज्ञान की निर्मलता तभी होती है जब अहंकार नही होता उपरोक्त विचार शांतिदूत आचार्य श्री महाश्रमण जी ने आदित्य विहार तेरापंथ नगर में भगवान महावीर की अध्यात्म यात्रा के विवेचन में धर्म सभा में व्यक्त किए।
पर्युषण के पांचवे दिन “अणुव्रत चेतना दिवस” पर आचार्य श्री ने आगे कहा अणुव्रत प्रवर्तक आचार्य तुलसी ने अणुव्रत आंदोलन की शुरुवात की। अणुव्रत व्यक्ति के भीतर नैतिकता, संयम की चेतना जगाने का कार्य करता है। जैन धर्म में अध्यात्म साधना को पुष्ट करने हेतु श्रावक के लिए बारह व्रतों की बात आती है। अणुव्रत में आर्थिक शुचिता की बात आती है। आज सामाजिक स्तर पर विभिन्न संस्थाए कार्य करती है उनमें आर्थिक शुचिता रहे यह जरूरी है। पैसे के मामले कहीं बेईमानी न रहे। संस्थाओं में दो नंबर का कुछ न रहे और साफ सुथरा कार्य हो।बेईमानी हमारी आत्मा का भी नुकसान करने वाली होती है।आवश्यकता है कि सभी में अणुव्रत की चेतना जागे व जीवन में सदाचार रहे।
प्रसंगवश आचार्यप्रवर ने कहा कि जीवन की एक अवस्था के बाद का समय विशेष रूप से साधना में लगना चाहिए। हमारे मुनि सुरेश कुमार जी (हरनावां) विशेष साधना की दिशा में आगे बढ़ रहे है,अच्छी बात है। इन्होंने कितना कार्य भी किया है। अच्छी चित्तसमाधि में स्वाध्याय, साधना का क्रम और बढ़ता रहे।
इस अवसर पर असाधारण साध्वीप्रमुखा कनकप्रभा जी ने उद्बोधन में कहा कि आज विश्व में भ्रष्टाचार, अत्याचार की घटनाएं बढ़ रही है। उन्हें ठीक करने के लिए अणुव्रतों की आवश्यकता है। इच्छाओं का संवरण और आवश्यकताओं का सीमाकरण हो तो अणुव्रत सहज ही जीवन में आ जाएगा। अणुव्रत एक संप्रदायातीत मानवता का आंदोलन है।
कार्यक्रम में मुख्य मुनि महावीर कुमार जी, मुख्य नियोजिका विश्रुतविभा जी एवं साध्वीवर्या संबुद्धयशा जी ने अणुव्रत एवं धर्म के दस प्रकारों पर वक्तव्य दिया। ‘शासन श्री’ मुनि हर्षलाल जी ने अपने विचार व्यक्त किए।