- पूज्य प्रवर ने दी आगम स्वाध्याय की प्रेरणा
- सवाकोटि नमस्कार महामंत्र अनुष्ठान का शुभारंभ
01 अगस्त 2021, रविवार, आदित्य विहार, तेरापंथ नगर ,भीलवाड़ा, राजस्थान। आदित्य विहार तेरापंथ नगर में शांतिदूत आचार्य महाश्रमण जी का ठाणं सूत्र पर आधारित प्रवचन का अमृतमय निर्झर निरंतर प्रवाहमान है। चातुर्मास काल में साधु-साध्वियां एवं श्रावक-श्राविकाओं द्वारा जप, तप, त्याग-तपस्या से भीलवाड़ा में धर्म की पावन गंगा बह रहा है।
वर्चुअल माध्यम से आचार्य श्री महाश्रमण ने अमृत देशना में कहा- साहित्य प्रणाली संस्कृति, विद्या और परंपरा को आगे बढ़ाने का एक सशक्त माध्यम है। साहित्य के बिना संस्कृति और ज्ञान का विकास नहीं हो सकता है। व्यक्ति और राष्ट्र निर्माण में साहित्य का महत्वपूर्ण योगदान होता है। भारत के पास अनेक भाषाओं में विपुल प्राचीन साहित्य का भंडार है। ठाणं सूत्र में बताया गया कि जैन शासन गरिमापूर्ण साहित्य संपदा से संपन्न है। साहित्य से ज्ञान का वह आलोक प्राप्त होता है जिससे हमारा आध्यात्मिक जीवन समृद्ध बन सकता है। जैनागम में आर्ष वाणी होती है इसलिए आगम महनीय तथा पूजनीय साहित्य होते है। श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथ धर्मसंघ में स्वीकृत बत्तीस आगमों का बहुत महत्व है। आचार्य भिक्षु ने आगमों का गहन अध्ययन कर सत्य के आलोक में ऐसे सिद्धांत प्रतिपादित किए जो आज तेरापंथ संघ के विकास का हेतु है। प्रज्ञा पुरुष श्रीमज्जयाचार्य के पास आगम ज्ञान का मानों अक्षय कोष उपलब्ध था। गुरुदेव तुलसी और पूज्य आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी का आगमों को सर्वसुलभ बनानें में बहुत बड़ा योगदान है। आज भी आगम संपादन का कार्य हमारे धर्मसंघ में चल रहा है।
आचार्यवर ने आगे कहा कि आयारो एक महत्वपूर्ण आगम है। इसमें अनेक छोटे-छोटे सूत्र है जैसे अतीत में जो हुआ उसका पुनरावर्तन न हो आदि। जैन दर्शन और सिद्धांत का भी इसमें वर्णन है। संत समुदाय साथ हु श्रावक समाज भी अर्थ बोध के साथ आगम स्वाध्याय करे तो विशेष प्रेरणा एवं निर्मलता बनी रह सकती है।
साध्वीप्रमुखा श्री कनकप्रभा जी ने मंगल उद्बोधन में व्यक्ति के जीवन की सफलता के तीन सूत्र बताए – सकारात्मक सोच, जागरूकता, नियंत्रण की क्षमता। जीवन में अनुकूल प्रतिकूल चाहे जो परिस्थिति हो व्यक्ति के भीतर सकारात्मक सोच, दायित्व के प्रति जागरूकता और संयम की चेतना होती है तो वह जीवन में प्रगति कर सकता है।
आचार्यवर द्वारा आज सवाकोटी नमस्कार महामंत्र अनुष्ठान का शुभारंभ हुआ। गुरुदेव ने रंगो और केंद्र के आधार पर अनुष्ठान करने की प्रेरणा दी।
तपस्या के क्रम में मुनि रश्मि कुमार ने 11 दिन की तपस्या, मुनि निकुंज कुमार ने 14 एवं मुनि पारस कुमार ने 10 दिन के तप का प्रत्याख्यान किया। पायल रांका ने भी 11 की तपस्या का प्रत्याख्यान किया।
कार्यक्रम में चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के महामंत्री निर्मल गोखरू, मंत्री विनिता सुतरिया ने विचार रखे। ज्ञानशाला के बच्चों ने गीत पर प्रस्तुति दी।