- आचार्य भिक्षु का जन्मोत्सव एवं बोधि दिवस आयोजित
- पूज्यवर ने किया प्रभु महावीर एवं आचार्य भिक्षु में साम्यता का विवेचन
22 जुलाई 2021, गुरुवार, आदित्य विहार, तेरापंथ नगर, भीलवाड़ा, राजस्थान। तीर्थंकर के प्रतिनिधि तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशम अधिशास्ता परम पूज्य आचार्य श्री महाश्रमण जी की पावन सन्निधि में आज तेरापंथ के आद्यप्रवर्तक आचार्य श्री भिक्षु का 296 वां जन्मोत्सव एवं बोधि दिवस मनाया गया।
महाश्रमण सभागार में आचार्य प्रवर ने कहा- तेरापंथ के प्रथम आचार्य वीर पुरुष आचार्य भिक्षु दृढ़ संकल्प शक्ति, आचार निष्ठा से साधना के मार्ग पर निरन्तर गतिमान रहे। आचार्य भिक्षु का जीवन उनके कर्तृत्व और व्यक्तित्व से और महान बन गया। उनके जीवन में कितनी विघ्न-बाधाएं आयी परन्तु वे आत्म कल्याण के पथ पर डटे रहे। कुछ अंशों में भगवान महावीर और आचार्य भिक्षु में साम्य देखा जा सकता है। प्रभु महावीर की निश्रा में भिक्षु स्वामी ने भी नए रूप में चार तीर्थ की स्थापना की।
आचार्य प्रवर ने आगे कहा कि आज आचार्य भिक्षु का बोधि दिवस है। श्री भिक्षु औत्पतिक बुद्धि के धनी थे। उनमें विशेष प्रतिभा, प्रज्ञा के साथ ही ज्ञान के प्रतिपादन का भी बल था। जिनवाणी के प्रति भी आस्था व समर्पण अनुत्तर था। आचार्य भिक्षु ने कितने ही आगमो, शास्त्रों का गहन अध्ययन किया और प्रतिपादित किया। सत्य का अन्वेषण करके अपनी तार्किक बुद्धि से ऐसे पंथ का निर्माण किया जिसकी मजबूत गहरी नींव से आज ये संघ चहुं दिशा में आलोकित है। आज के दिन हम श्रद्धा से आचार्य श्री भिक्षु का स्मरण करते है।
कार्यक्रम में मुनि श्री मोहजीत, मुनि श्री उदित, मुनि श्री संबोध, साध्वी श्री मननयशा, समणी नियोजिका अमल प्रज्ञा ने अपनी भावनाएं व्यक्त की।