नई दिल्ली:कोरोना संकट काल में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अमल की सुस्त पड़ी रफ्तार को फिर से गति देने की कोशिशें तेज हो गई हैं। नए शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की ओर से नीति के अमल में अब तक हुई प्रगति की रिपोर्ट मांगें जाने के बाद इसे लेकर हलचल और बढ़ी हुई है। हालांकि शिक्षा मंत्रालय ने अब नीति के अमल पर नजर रखने के लिए एक पोर्टल भी तैयार करने की योजना बनाई है। जिसमें शिक्षा नीति के अमल से जुड़ी सभी एजेंसियों की ओर से उठाए गए कदमों की जानकारी अपडेट करनी होगी।
इस बीच विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सभी विश्वविद्यालयों को पत्र लिखकर नीति के सुझावों को संपूर्णता के साथ लागू करने को कहा है, ताकि देश की 21वीं सदी की जरूरतें पूरी हो सकें। यूजीसी ने मुख्य रूप से जिन क्षेत्रों पर ध्यान देने की जरूरत बताई है, उनमें कला, भाषा, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, प्रोफेशनल, तकनीक और व्यवसायिक क्षेत्र शामिल है। इसके साथ ही स्किल के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ने की संभावनाओं पर भी फोकस करने को कहा है।
यूजीसी ने उच्च शिक्षण संस्थाओं से शिक्षा के क्षेत्र में अपनाई जाने वाली हर नई पहल को अपने संस्थान की वेबसाइट पर भी साझा करने को कहा है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर यह हलचल इसलिए भी बढ़ी हुई है, क्योंकि कोरोना के चलते शिक्षा नीति के अमल के लिए तय किए गए कई टास्क पर तय समय-सीमा से काम नहीं शुरू हो पाया है।
वैसे भी शिक्षा नीति के अमल को लेकर जो टास्क बनाया है, उनमें ज्यादा टास्कों पर वर्ष 2024 तक काम होना है। इनमें भी अगले दो सालों में करीब 70 फीसद टास्क पर काम होना है। ऐसे में इसके अमल में देरी हुई तो नीति के अमल में आगे भी देरी दिखेगी। सरकार नीति के अमल से अलम को लेकर इसलिए भी सतर्क है, क्योंकि इससे पहले जो नीति आई थी, वह समय पर लागू होने के चलते अपने लक्ष्य को हासिल नहीं कर पायी। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इससे बचने की जरूरत पर बल दिया गया है।