वॉशिंगटन:अमेरिका में वैसे कोरोना संक्रमण के मामले गिरावट की ओर हैं, मगर अप्रैल की शुरुआत में वहां बच्चों में संक्रमण के मामले वयस्कों की तुलना में ज्यादा देखे गए। इसने विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा दी है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ऐंड प्रिवेंशन के मुताबिक, अप्रैल की शुरुआत में छोटे बच्चों से लेकर 12 साल तक की उम्र के बच्चों में कोरोना के मामले 65 या उससे ऊपर के वयस्कों की तुलना में बढ़ गए।
ऐसे में विशेषज्ञों को आशंका है कि कोरोना के वेरियंट युवाओं को नए-नए तरीके से प्रभावित कर रहे हैं। इसमें सूजन पैदा करने वाली बीमारी भी शामिल है जो कोरोना से ही जोड़कर देखी जा रही है। बॉस्टन चिल्ड्रंस हॉस्पिटल की क्रिटिकल केयर डॉक्टर एड्रीन रैंडॉल्फ के अनुसार अकेले फरवरी में बच्चों में मल्टी सिस्टम इन्फ्लेमेट्री सिंड्रोम के दो हजार से ज्यादा मामले देखे गए, जो अप्रैल में बढ़कर तीन हजार के भी पार चले गए। अमूमन कोरोना से ठीक होने के एक महीने बाद बच्चों के शरीर के दिल, दिमाग, फेफड़े या आंतें में सूजन पैदा हो जाती है।
इसमें पेटदर्द से लेकर पेचिस जैसे लक्षण भी उभर सकते हैं। ये आमतौर पर एक से 14 साल के बच्चों में देखी गई है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि बच्चों की एक पूरी आबादी अभी बिना किसी वैक्सीन के है। रैंडॉल्फ कहती हैं कि सूजन की यह बीमारी ऐसे बच्चों में ज्यादा देखी जा रही है जो दिखने में स्वस्थ हैं और उनमें लक्षण भी नहीं हैं।