राकेश तिवारी।।
पूरे संसार में जिस तरह से कोविड-19 महामारी ने इंसानों को काल का ग्रास बनाया है, यह सरकारों के लिए कोरोना महामारी को समाप्त करने में बहुत बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कोरोना महामारी भारत देश में फैलने के बाद कितने इंसान मर गये और मरते जा रहे है। लाखों इंसानों की मृत्यु ऐसी हुई जैसे कोई राक्षस लील रहा हो।
इस प्रकार की बीमारी देश के राज्यों में फैली, पर इतना बड़ी विशाल महामारी फैलेगी। यह तो भारत सरकार पूरे संसार को नहीं पता था। देश और विदेश के वैज्ञानिक भी इसका उपाय नहीं खोज पा रहे हैं। वह कौन वैक्सीन बनाये जिससे इंसानों को बचाया जा सके, पर कोशिश जारी है।
विदेश में कोरोना महामारी का कहर किस प्रकार छाया हुआ है। चीन अमेरिका, इटली ब्राजील, फ्रांस, ब्रिटेन, पाकिस्तान, बंगलादेश कुल देशों में प्रतिदिन इंसान कोरोना महामारी का ग्रास बनता जा रहा है। स्थिति नियंत्रण से बाहर हो चुकी है। कोई किसी को संभाल भी नहीं पा रहा है। यह कोरोना महामारी पिछले 22 मार्च 2020 को भारत के कुछ राज्यों में फैली थी, पर जब यह खबर विदेशों से आयी तब पता चला कोविड-19 एक महामारी है जो चीन देश के वुहान रिसर्च लैब से आयी थी। फिर इसके बाद शक्तिशाली देश अमेरिका ने चीन पर कोविड-19 महामारी को लेकर काफी लताड़ गई थी और सेनाएं युद्ध के लिए आमने-सामने थी जो आज भी है।
कोरोना से संक्रमित लोगों की कुल संख्या 144,455,684 हो गई है। इस वायरस ने अब तक 3,071,798 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। दुनियाभर में कोरोना वायरस से संक्रमित 122,640,995 लोग ठीक हो चुके हैं। अमेरिका, ब्राजील और भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले आए हैं। वैक्सीन भी बन चुकी है, कुछ लोग इसको लगवा चुके हैं जो बचे उनके तक पहुंचेगी कब यह बताना मुश्किल हो रहा है। कोरोना मरीज सांस नहीं ले पा रहे हैं दम घुटता जा रहा है परिजनों के आंसू निकल रहे हैं। भारत देश के राज्यों में कोरोना संक्रमण के चलते अस्पतालों में बेड के अलावा ऑक्सीजन सिलेंडर की भी भारी किल्लत है। मुंबई में ऑक्सिजन की कई गुना मांग बढ़ गई है जिस कारण बड़े ऑक्सीजन सिलेंडेर और उसकी रिफिलिंग के दाम और ज्यादा बढ़ गये है।
पूरे देश में 162 ऑक्सीजन प्लांट लगाने की मंजूरी के बाद अब यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि ये प्लांट यथाशीघ्र कार्य करना प्रारंभ कर दें। बेहतर हो कि केंद्र के साथ राज्य सरकारें भी इस पर निगाह रखें कि ये प्लांट समय रहते कार्य शुरू करते हैं या नहीं?
देश भर के कई हिस्सों से अस्पतालों में ऑक्सिजन की कमी बताई जा रही है। कोरोना मरीजों का बुरी तरह से हाल है। मरीजों भी डाक्टर देख नहीं पा रहे हैं। भारी तादाद में मरीजों के कोरोना संक्रमित होने के कारण डॉक्टरों और नर्सों का बहुत बुरा हाल है। उनकी भी जान आफत में प़ड़ी हुई है। उनके परिजन भी बहुत परेशान है।
इंजेक्शन रेमडेसिविर की अनुपलब्धता भी मरीजों की जान ले रहा है। अभी तक वैक्सीन आम जनता तक नहीं पहुंच पा रही है। अगर यह इंजेक्शन रेमडेसिविर हर भारत के हर राज्यों में मिलना शुरू हो जाये तो काफी इंसान मौत से बच सकते है। पर ऐसा हो पाना संभव दिख रहा है। भारत देश के गांव-गांव शहर-शहर में चीख-पुकार सिर्फ सुनाई पड़ रही है। चिंताएं चारों तरफ जल रही है। कोरोना संक्रमित कोई अगर घर का है उसके परिजन अपने इंसान का ना तो ईलाज करा पा रहे हैं ना ही उनसे मिल पा रहे हैं।
स्वास्थ्य ढांचे के समक्ष आज जो विषम स्थिति है, इसका एक कारण तो कोरोना संक्रमित की दूसरी लहर का ज्यादा तेज होना कहा जा सकता है। और दूसरी, इस लहर का सामना करने के लिए पूरी तरह से भारत सरकार और राज्यों की सरकारों ने आंख मूंदकर लॉकडाऊन में ढिलाई देकर कोरोना महामारी को और फैलाया है। भारत सरकार पिछले साल आनन-फानन में जैसे सेनीटाईजर में कोरोड़ों रुपए स्वाहा कर दिये। पर इसका कोई भी नतीजा नहीं निकला। आज समाज में सरकारी कर्मचारी, कारोबार करने वाले, निजी नौकर और हाथ से काम करने वालों का दिवाला निकल चुका है। इस सरकारें कुछ नहीं बोलती। सभी सरकारों की सिर्फ अपनी मनमानी के कारण यह दुर्दशा इंसानों की अस्पतालों में हो रही है।
अस्पतालों का कहना है कि सप्लाइ कम होने के साथ ही कई वेंडरों ने ऑक्सिजन के ट्रांसपोर्टेशन और मजदूरी के लिए प्रीमियम चार्ज वसूलना शुरू कर दिया है। गोरेगांव अस्पताल के बताया कि एक सिंगल बड़ा ऑक्सिजन सिलेंडर के रिफिलिंग के दाम बढ़कर तिगुने लगभग 900 रुपये हो गए हैं। उन्होंने बताया, ‘कोरोना दौर से पहले यह 250 रुपये का मिलता था, जो पहले पीक पर 600 रुपये का हो गया और अब 900 रुपये लिए जा रहे हैं।’
कहा जा रहा है कि उसे ऑक्सिजन सिलेंडर के लिए काफी पैसा देना पड़ रहा है इसलिए वह हमसे भी अधिक रुपये वसूल रहा है।’ डॉक्टर का कहना है कि लिक्विड ऑक्सिजन सप्लाइ के दामों में फिलहाल कोई बदलाव नहीं किया गया है। उन्होंने बताया, ‘कुछ अस्पतालों ने सिंगल बड़े सिलेंडर के रिफिलिंग के लिए 2,500 रुपये तक अदा किए हैं जबकि कई छोटे अस्पतालों को समय पर रिफिलिंग के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।’
कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए मुंबई में मनपा आयुक्त अभिजीत बांगर अस्पतालों में ऑक्सिजन और बेड की देखरेख कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऑक्सिजन और बेड्स की कमी नहीं है। आपात स्थिति के लिए 20 दिन की अतिरिक्त ऑक्सिजन मनपा के पास है। इस दौरान आयुक्त ने लिक्विड टैंक को भी जल्द से जल्द स्थापित करने का निर्देश अधिकारियों को आदेश दिया है।
उत्तर प्रदेश राजधानी की लखनऊ में ऑक्सिजन की कमी हो गई थी। उसके बाद से वहां भी कई जिलों में ऑक्सिजन की कमी देखी जा रही है। हालात काफी खराब है। हर इंसान तड़प तड़प कर मर रहा है। लोकशाही नेताओं पर इसका कोई इसका प्रभाव नहीं पड़ रहा है। समाज सिर्फ कोरोना महामारी के कारण घर में बंद है।