वाशिंगटन:भारत और चीन के बीच आगे भी लद्दाख समेत नॉर्थ-ईस्ट सीमाओं को लेकर विवाद जारी रहेगा। साथ ही पाकिस्तान के साथ भी भारत के तनावपूर्ण संबंध बने रहेंगे। खतरे के आकलन पर जारी अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट में इस बात का दावा किया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कश्मीर मामले के साथ-साथ आतंकी घटनाओं के कारण भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव और बढ़ सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पहले के मुकाबले अब पाकिस्तान की हरकतों पर भारत सैन्य कार्रवाई कर सकता है। हालांकि युद्ध की आशंका बेहद कम है।
1975 के बाद पहली बार भारत-चीन के बीच हिंसक टकराव
US नेशनल ऑफ इंटेलिजेंस (ODNI) के डायरेक्टर ऑफिस से मंगलवार को जारी की गई इस रिपोर्ट में लद्दाख में दोनों देशों के बीच हुए हिंसक झड़प का भी जिक्र है। रिपोर्ट के मुताबिक, 1975 के बाद से पहली बार बॉर्डर को लेकर दोनों देशों में हिंसक टकराव देखा गया। रिपोर्ट में इसे दशकों में सबसे अधिक गंभीर मुद्दा बताया गया।
डिसएंगेजमेंट कुछ इलाकों में, अभी विवाद बाकी
रिपोर्ट के मुताबिक, हालांकि, दोनों पक्षों की कई दौर की बातचीत के बाद इसी साल फरवरी में विवादित सीमा के पास कुछ इलाकों से अपनी सेनाएं और सैन्य साजो सामान वापस बुला रहे हैं। दोनों पक्षों ने पहले पैंगोंग त्सो के आसपास अपने सैनिकों को हटाने का फैसला किया, लेकिन पूर्वी लद्दाख में हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और डेपसांग जैसे क्षेत्र अभी संघर्ष की स्थिति से बाहर नहीं निकले हैं।
इसे विवाद का खत्म होना नहीं कहा जा सकता। यह आगे एक बार फिर से करवट ले सकता है।
कई देशों में बनेंगे गृह युद्ध और विद्रोह के हालात
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि सत्ता और संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धा, जातीय संघर्ष और विचारधारा के चलते कई देशों में गृह युद्ध और विद्रोह के हालात बनेंगे। अंतरराज्यीय टकराव भी होंगे। वहीं, आंतरिक और अंतरराज्यीय विवाद व अस्थिरता के चलते अमेरिकी अधिकारियों और अमेरिका के हितों पर अगले साल भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष खतरे की बात रिपोर्ट में बताई गई है।
अमेरिकी थिंक टैंक ने भारत को बताया मजबूत सहयोगी
इससे पहले सोमवार को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (IT) नीति संबंधी मुख्य अमेरिकी इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फाउंडेशन’ (ITIF) ने भी सोमवार एक रिपोर्ट जारी की थी। इसमें थिंक टैंक ने कहा है कि अमेरिका उभरते चीन को रोकना चाहता है और ऐसे में, भारत से महत्वपूर्ण कोई अन्य देश नहीं है, जिसका आकार बहुत बड़ा है, जिसके पास अत्यधिक कुशल तकनीकी पेशेवर हैं और जिसके अमेरिका के साथ मजबूत राजनीतिक एवं सांस्कृतिक संबंध हैं।
अच्छे और खराब दोनों पहलुओं का जिक्र
रिपोर्ट में सबसे खराब और सबसे अच्छे परिदृश्यों पर गौर किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एक पक्ष यह है कि भारत और चीन के बीच तनाव कम हो और दोनों पड़ोसी देशों के बीच कारोबारी संबंध मजबूत हों। ऐसी स्थिति में वैश्विक अर्थव्यवस्था पूर्व दिशा की ओर स्थानांतरित हो जाएगी और अमेरिका इस बारे में कुछ खास नहीं कर पाएगा।
रिपोर्ट के अनुसार, दूसरा पक्ष यह है कि चीन के कारण आर्थिक, सैन्य और अंतरराष्ट्रीय संबंध से जुड़ी चुनौतियां बढ़ने के बीच भारत और अमेरिका के हित समान हों। ऐसी स्थिति में अधिकतर विकसित देशों में लोकतांत्रिक नियम कायम रहेंगे, क्योंकि विकासशील देश बीजिंग मॉडल के बजाए दिल्ली मॉडल को देखेंगे।
भारत पर निर्भरता को लेकर चेतावनी
उसने अमेरिका को भारत पर अत्यधिक निर्भर होने को लेकर सचेत करते हुए यह भी कहा कि यदि दोनों देशों के बीच बौद्धिक सम्पदा, डाटा कम्यूनिकेशन, शुल्क, कर, स्थानीय विषय वस्तु की आवश्यकताएं या व्यक्तिगत निजता जैसे मामलों पर बड़े मतभेद पैदा होते हैं, तो भारत रणनीतिक समस्या बन सकता है।