कोटा। कोटा में एक भ्रष्टाचार विरोधी अदालत ने 19 साल पुराने भ्रष्टाचार के एक मामले में बुधवार को राजस्थान प्रशासनिक सेवा (आरएएस) के एक पूर्व अधिकारी और तीन अन्य लोगों को सात साल कैद की सजा सुनाई। अदालत के विशेष न्यायाधीश प्रमोद कुमार मलिक ने यह सजा सुनायी। तीन अन्य लोगों में कोटा नगर निगम के दो पूर्व कर्मचारी भी शामिल हैं।
अदालत ने चारों दोषियों पर 21 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। सहायक निदेशक, अभियोजन अशोक कुमार जोशी ने बताया कि अदालत ने पूर्व आरएएस अधिकारी के. एल. मीणा, कनिष्ठ अभियंता बाबू गुप्ता और क्लर्क जगन्नाथ तथा कोटा निवासी हरि सिंह को सजा सुनाई।
दरअसल, कन्हैया लाल मीणा राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारी थे। सहायक निदेशक अभियोजन अशोक कुमार जोशी ने बताया कि कोटा के अतिरिक्त एसपी (एसीबी) यशपाल शर्मा को वर्ष 2002 में सूचना मिली थी कि केएमसी के तत्कालीन आयुक्त कन्हैया लाल मीणा और केएमसी के अन्य कर्मचारियों ने जाली दस्तावेजों के जरिए दादाबाड़ी क्षेत्र में हरि सिंह से केएमसी संपत्ति के निर्माण और बिक्री की अनुमति दी थी।
केएमसी की संपत्ति पहले पत्रकार कांतिचंद जैन को अलॉट की गई गई थी, मगर बाद में उनके अलॉटमेंट को कैंसल कर दिया गया और फिर यह संपत्ति केएमसी के पास चली गई। हालांकि, बाद में हरि सिंह ने झूठे हलफनामे और जाली दस्तावेजों के जरिए और अधिकारियों की मदद से प्लॉट को कब्जे में ले लिया।