नई दिल्ली:पश्चिम बंगाल व अन्य राज्यों में चुनावी बॉन्ड पर रोक लगाने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वह चुनावी बॉन्ड योजना का समर्थन करते है क्योंकि अगर ये नहीं होगा तो राजनितिक पार्टियों को चंदा कैश में मिलेगा, आयोग ने कहा कि हालांकि वह चुनावी बॉन्ड योजना में और पारदर्शिता चाहता है। आयोग ने कहा कि चुनावी बॉन्ड बेहिसाब नकदी प्रणाली से एक कदम आगे है।
आयोग के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने अदालत को बताया कि पारदर्शिता के मुद्दे पर तर्क पर अंतिम चरण में विचार किया जा सकता है, और कोई अंतरिम रोक नहीं होनी चाहिए।
एडीआर की ओर से दाखिल याचिका पर प्रशांत भूषण ने कहा इलेक्टोरल बॉन्ड्स तो सत्ताधारी दल को चंदे के नाम पर रिश्वत देकर अपने काम कराने का जरिया बन गया है। इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की कि हमेशा ये रिश्वत का चंदा सत्ताधारी दल को ही नहीं बल्कि उस दल को भी मिलता है जिसके अगली बार सत्ता में आने के आसार प्रबल रहते हैं।
भूषण ने कहा की रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने भी इस पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है क्योंकि आरबीआई का कहना है कि ये बॉन्ड्स आर्थिक घपले का एक तरह का हथियार, औजार या जरिया है। कई लोग देश विदेशों में पैसे इकट्ठा कर औने पौने इलेक्टोरल बॉन्ड्स खरीद सकते हैं, ये दरअसल सरकारों के काले धन के खिलाफ कथित मुहिम की सच्चाई बयान करता है बल्कि उनकी साख पर भी सवाल खड़े करता है।