- कंपनी का ग्राहक बूढ़ा हो सकता, एजेंट बूढ़ा हो सकता है मगर एक पूरी कंपनी कैसे हो गई बूढ़ी
- वक्त रहते खुद को अपडेट नहीं किया तो एक दिन पूरा देश हो जाएगा बूढ़ा
मुंबई। जुहू के एक गार्डन में पिछले 15 वर्षों से मॉर्निंग वॉक के लिए जाता रहा हूँ। आसपास की अनेक सोसायटी के लोग इस गार्डन में रोजाना सुबह की सैर करने आते हैं। अधिकतर लोग गार्डन में किसी से बातचीत किए बिना ही मौन व्रत लिए ही अपनी वॉक कर निकल जाते हैं। कुछ लोग ऐसे हैं जो सिर्फ हाय हेलो अथवा गुड मॉर्निंग विश कर लेते हैं, तो कुछ लोग गार्डन में गपशप करने थोड़ी देर बैठ भी जाते हैं। मेरी अपनी सोसायटी के भी कई लोग इस गार्डन में नियमित वॉक करने आते हैं।पड़ोस की सोसायटी में रहने वाले मिस्टर सोपारीवाला ने मुझे एक दिन अपने घर आने का निमंत्रण दिया और मुझसे कहा कि क्या आप मेरी थोड़ी हेल्प कर सकते हैं। मिस्टर सोपारीवाला जिनकी उम्र कोई 70 बरस से ज़्यादा ही होगी। एक तो बुजुर्ग व्यक्ति का निमंत्रण और फिर मदद की बात सुनकर उनके आग्रह को टाल भी नहीं सकता था।
तय समय के अनुसार एक दिन शाम को उन्हें मिलने उनके घर गया तो उन्होंने अपने और अपने परिवार के बारे बहुत सारी जानकारी मुझे बताईं। बेटा उनका अमेरिका में नौकरी करता है और बेटी शादी के बाद अपने ससुराल में रहती है। पत्नि का निधन लंबी कैंसर की बीमारी के कारण कोई डेढ़ साल पहले ही हुआ था। मिस्टर सोपारीवाला ने अब तक जो भी अपने बारे में जानकारी दी उसमें कहीं खुशी, तो कहीं न कहीं दुख भी था।
दुख देने वाली बात यह भी थी की एक भरा पूरा परिवार होने के बावजूद वह अकेले अपने जीवन का बुढ़ापा बिताने के लिए मजबूर हैं। हालांकि उन्होंने बताया कि बेटा उन्हें अक्सर अमेरिका बुलाता रहता है। वे अमेरिका कई बार जाकर भी आए पर वहां उनका मन ज्यादा दिन तक नहीं लगता है।
मिस्टर सोपारीवाला को मेरी ही सोसायटी में रहने वाले उनके मित्र ने मेरे बारे में बताया होगा शायद इसीलिए उन्होंने मुझे बुलाया था। काफी देर तक ढेर सारी बातें होने के बाद मैंने उनसे पुछा कि मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूं?
मैंने जब मुझे बुलाने का कारण पूछा तो वे उठकर अंदर अपने कमरे में गए और अपनी आलमारी में से एक बड़ी फाइल निकाल कर ले आए। फाइल को मेरी तरफ बढ़ाते हुए मुझे बताया की यह मेरी मेडिक्लेम के बीमा कागजातों की फाइल है। बातचीत में उन्होंने मुझे यह भी बताया कि मेरी मेडिक्लेम बीमा कंपनी का एजेंट मेरे ही दफ्तर में मेरे साथ ही काम करता था लेकिन वह अब ठाणे के आगे कल्याण में रहने लगा है तो वह मुझे अपनी सेवा ठीक से नहीं दे पा रहा है। मैंने फाइल के चंद पन्नों को पलटकर अभी देखना शुरू ही किया था कि इतने में ही काफी कुछ समझ आ गया। जिस बीमा कंपनी के कागजात मैंने देखे उस कंपनी के नाम का खुलासा करना यहां उचित न होगा। वो एक पब्लिक सेक्टर की पुरानी कंपनी तो है लेकिन अपने ग्राहकों एवं अभिकर्ताओं के साथ खुद भी बूढ़ी हो चुकी है।
अब सवाल यह है कि किसी बीमा कंपनी का ग्राहक तो बूढ़ा हो सकता है और उस कंपनी का एजेंट भी बूढ़ा हो सकता है लेकिन एक पूरी कंपनी कैसे बूढ़ी हो सकती हैं?
हमारे देश भारत में कुछ भी असंभव नहीं हैं यदि हमारे देश के लोगों का यही बर्ताव रहा और समय के साथ खुद को अपडेट नहीं किया तो एक दिन पूरा देश बूढ़ा हो जाएगा और कोई किसी को अपनी सेवा देने के लिए काबिल नहीं रहेगा।
किसी कंपनी, देश अथवा व्यक्ति के बूढ़े होने का तात्पर्य मेरा इतना ही है कि वह व्यक्ति जो समय के साथ अपडेट होने को तैयार नहीं हैं। पच्चीस तीस साल पहले जब पहली बार हमारे सरकारी दफ्तरों में कंप्यूटर आया तो अनेक कंपनियों के लाखों कर्मचारी कम्प्यूटर के साथ तालमेल बिठाने से कतराते रहे और आज वही कर्मचारी अपने बुढ़ापे के दौर में फिजिकल सेवाओं के लिए दूसरों पर निर्भर हैं। ऐसे बूढ़े लोगों की आज कोई सहायता करने के लिए भी राजी नहीं हैं। वैसे तो हम सब एक दिन शारीरिक रूप से तो बूढ़े होने वाले ही हैं लेकिन अपने हाथ में मौजूद मोबाइल रूपी कम्प्यूटर से तालमेल बिठाने में देरी की तो निश्चित रूप से देश के करोड़ों लोग जो आज जवान हैं और वे जवान रहते हुए ही एक दिन बूढ़े हो जाएंगे। व्यक्ति को अपनी हेल्थ और वेल्थ से रिलेटेड सारी जानकारी अपने मोबाइल रूपी कम्प्यूटर में अपडेट करनी होगी और उसके साथ तालमेल बेठाना ही होगा। वर्ना आने वाले समय में व्यक्ति का फिजिकल मेहनताना इतना महंगा होने वाला है कि कोई भी सामान्य व्यक्ति उसे अफोर्ड कर ही नहीं पाएगा। अमेरिका जैसे विकसित देश में आज भी करोड़ों लोगों को अपना तमाम कार्य खुद ही करना पड़ता है क्योंकि वहां लेबर बहुत महंगा है इसलिए वहां के लोगों ने अपना सारा काम मोबाइल-कम्प्यूटराइज्ड मशीनों को सौंप दिया है अथवा तो उन्हें खुद ही अपना कार्य करना पड़ता है। तकनीकि युग में हमारे देश में भी ऐसा कल्चर आते अब ज्यादा समय नहीं लगेगा और समय रहते हम अपने आप को समय के साथ ढालने में लापरवाही अथवा देरी की तो पूरा देश समय के पूर्व ही बूढ़ा हो जाएगा।