नई दिल्ली:चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत ने नेपाल को नसीहत दी है कि वह चीन से दोस्ती बढ़ाने के लिए आजाद है लेकिन उसे यह नहीं भूलना चाहिए कि चीन की दोस्ती से श्री लंका का क्या हाल हुआ। उन्होंने कहा कि नेपाल अपनी मर्जी से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किसी भी देश से संबंध बढ़ाने को आजाद है लेकिन उसे सतर्क रहना होगा।
जनरल रावत नेपाल इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल कोऑपरेशन ऐंड एंगेजमेंट (NIICE) के दूसरी सालाना वार्ता में दोनों देशों के संबंधों पर बात कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने नेपाल को श्री लंका से सीख लेने की भी नसीहत दी। जनरल रावत का ये बयान तब आया है जब चीन कई परियोजनाओं के साथ हिमालयी राष्ट्र में अपनी पहुंच बढ़ाने की कोशिश में जुटा है।
बिपिन रावत ने इसके साथ ही नेपाल और भारत के बीच मजबूत संबंध की तुलना हिमालय की ऊंचाई और हिंद महासागर की गहराई से की। उन्होंने कहा कि भारत की सद्भावना किसी डोर से नहीं जुड़ी है।
बता दें कि श्री लंका ने चीन को अपना हंबनटोटा बंदरगाह 99 साल के लिए सौंप दिया था। इस बंदरगाह की 85 प्रतिशत हिस्सेदारी चीन की कंपनी के पास है। माना जाता है कि चीन इस बंदरगाह का इस्तेमाल सैन्य उद्देश्य से भी कर सकता है। इसके अलावा बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के नाम पर भी चीन ने श्री लंका को बहुत सा कर्ज देकर अपने जाल में फंसाया।