करवा चौथ के दिन महिलाएं पति की लंबी आयु की कामना करते हुए निर्जला व्रत रखती हैं। शाम को चंद्र दर्शन के बाद व्रत खोलती हैं। इस साल करवा चौथ का व्रत 4 नवंबर (बुधवार) को रखा जाएगा। करवा चौथ व्रत सुहागिनों के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस व्रत में सास अपनी बहू को सरगी देती है और इस सरगी को खाने के बाद ही बहू अपने व्रत की शुरुआत करती है। करवा चौथ व्रत बिना चंद्र दर्शन अधूरा माना जाता है। जानिए करवा चौथ व्रत में चंद्र दर्शन से पहले किन बातों का ध्यान रखना चाहिए-
1. करवा चौथ के दिन व्रती महिलाएं सुबह 4 बजे उठकर सरगी खाती हैं और दिन भर निर्जला व्रत रखती हैं। इसके बाद चंद्रोदय के समय पूजा की थाली सजाती हैं।
2. मान्यता है कि इस दिन व्रती महिलाएं सास या किसी बुजुर्ग का अनादर करती हैं तो उनके व्रत का फल नष्ट हो जाता है।
3. कहते हैं कि इस दिन हलवे-पूरी का भोग लगाने के बाद इस प्रसाद को सास को आदरपूर्वक देना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
4. इस दिन विवाहित महिलाएं चांद देखने से पहले किसी को भी दूध, दही, चावल या सफेद कपड़ा न दें। कहते हैं कि ऐसा करने से चंद्रमा नाराज होते हैं और अशुभ फल देते हैं।
5. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने वाली स्त्री को काले और सफेद कपड़े पहनने से बचना चाहिए। करवा चौथ व्रत में लाल या पीले रंग के वस्त्र पहनना फलदायी माना जाता है।
करवा चौथ पर मंगलसूत्र का महत्व-
हिंदू धर्म के अनुसार, वैवाहिक जीवन में मंगलसूत्र का खास महत्व होता है। यह काले मोतियों की माला होती है, जिसे महिलाएं गले में पहनती हैं। मंगलसूत्र को शुभता का प्रतीक मानते हैं। माना जाता है कि मंगलसूत्र धारण करने से पति की रक्षा होती है और उसके जीवन के सारे दुख दूर हो जाते हैं। मंगलसूत्र महिलाओं के लिए भी रक्षा कवच और संपन्नता का प्रतीक माना गया है।
(इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)