मुंबई:1930 के बाद पूरी दुनिया अब फिर से आर्थिक मंदी के सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। साथ ही गरीब और विकास कर रहे देशों के लिए कोरोना सबसे ज्यादा विनाशकारी साबित हो रहा है। यह जानकारी वर्ल्ड बैंक ने दी है।
स्कूलों को फिर से खोलना सबसे बड़ी समस्या
वर्ल्ड बैंक के प्रेसीडेंट डेविड मालपास ने बताया कि देशों के सामने सबसे बड़ी समस्या स्कूलों को फिर से खोलना है। हालांकि वर्ल्ड बैंक देशों को शिक्षा, सामाजिक और स्वास्थ्य कार्यक्रमों पर खर्च करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि आर्थिक मंदी में कई देशों में जोखिम का खतरा बढ़ रहा है। डेविड मालपास ने कहा कि यह मंदी बहुत गहरी है। यह उनके लिए और ज्यादा मुसीबत पैदा कर रही है जो ज्यादा ही गरीब हैं। वर्ल्ड बैंक देशों के विकास के एक बड़े कार्यक्रम पर काम कर रहा है। यह इस फिस्कल वर्ष में होने की उम्मीद है।
हेल्थ इमर्जेंसी प्रोग्राम बढ़ाने को मंजूरी
बता दें कि एक दिन पहले ही वर्ल्ड बैंक के बोर्ड ने हेल्थ इमर्जेंसी प्रोग्राम को बढ़ाने की मंजूरी दी थी। इस प्रोग्राम के तहत 12 अरब डॉलर की रकम वैक्सीन और अन्य के लिए खर्च की जाएगी। यह उन देशों को भी दी जाएगी जिनके पास कोई उपाय नहीं है। मालपास ने कहा कि एडवांस अर्थव्यवस्था इस समय सपोर्ट देने में सक्षम हैं। खासकर वित्तीय बाजार को और लोगों को रोजगार देने का काम किया जा रहा है। यह रोजगार घर से किया जा रहा है।
हालांकि इनफॉर्मल इकोनॉमी में लोगों का रोजगार जा भी रहा है। ऐसे लोग सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम पर निर्भर हो रहे हैं।
विकासशील और गरीब देश और मंदी में जाएंगे
जो देश विकासशील हैं और जो काफी गरीब देश हैं, वे और मंदी में जा रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि लोगों का रोजगार जा रहा है। लोगों की आय खत्म हो रही है। साथ ही उन लोगों की भी आय खत्म हो रही है जो शहरों में अपने परिवार के लोगों की कमाई पर निर्भर थे। वर्ल्ड बैंक इसके लिए गरीब देशों को सामाजिक सुरक्षा के लिए अतिरिक्त सपोर्ट देने पर काम कर रहा है। साथ ही कृषि सेक्टर की चुनौतियों की भी वर्ल्ड बैंक पहचान कर रहा है।
कई देशों के लिए लंबे समय तक स्थितियां खराब रह सकती हैं
वर्ल्ड बैंक ने कहा कि हमें उस पर ध्यान देना चाहिए जिसमें कई देशों के लिए लंबे समय तक स्थितियां खराब रह सकती हैं। हमें टूरिज्म में तेजी से सुधार होने की कोई उम्मीद नहीं दिख रही है। अर्थव्यवस्थाओं को लचीला रूख अपनाना चाहिए ताकि लोग नए रोजगार और पोजीशंस को पाने में सक्षम हों। कोविड के बारे में वर्ल्ड बैंक ने कहा कि यह कोई नहीं जानता है कि स्थितियां कब और कैसे सही होंगी। वर्ल्ड बैंक देशों को स्वास्थ्य कार्यक्रमों और शिक्षा पर खर्च करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है।
बच्चों की पढ़ाई काफी पीछे चली जाएगी
वर्ल्ड बैंक ने कहा कि अभी भी विकासशील देशों में अरबों बच्चे स्कूल से बाहर हैं। ऐसे मामलों में पढ़ाई काफी पीछे चली जाएगी और इसकी भारी कीमत उन देशों को चुकानी होगी। यह खासकर लड़कियों के मामले में और दिक्कत बढ़ा सकता है। इसके बाद देशों को लंबे वक्त तक के लिए इंफ्रा पर काम करना होगा। यह देश की वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।