किसी एक ही स्थान पर पहुंचने के लिए कई रास्ते हो सकते हैं, पर वहां जाने की चाह रखने वाले सभी लोगों को एक काम समान रूप से करना होगा, वह काम है सफर की तैयारी। बिना तैयारी के सफर पर निकलना भटकाव पैदा करता है, जबकि तैयारी आपको रास्ते की मुश्किलों से निपटने में सक्षम बनाती है। जाहिर है, यह तैयारी किसी लक्ष्य को पाने के लिए किया जाने वाला जरूरी निवेश है। निवेश का मतलब ज्यादातर लोग रुपया-पैसा ही समझते हैं और इसकी कमी के कारण खुद को पहले ही असफल मान बैठते हैं। इस तरह के किसी अभाव से हताश होने वाले लोग अपने पास उपलब्ध उस पूंजी को देख ही नहीं पाते, जो कामयाबी के लिए अन्य किसी भी साधन से अधिक अहमियत रखती है। यह पूंजी है आपका आत्मविश्वास, जो न हो तो फिर बाकी सारे संसाधन आपको लक्ष्य तक पहुंचाने में कारगर नहीं हो सकते। लखनऊ के समीर चड्ढा की कहानी इस सच्चाई को बखूबी हमारे सामने रखती है, जो लेमनग्रास और खस की फार्मिंग के जरिये अच्छी कमाई कर रहे हैं।
लीक से हटकर सोच
पेड़-पौधों और प्रकृति में उनकी इस कदर दिलचस्पी थी कि कॉमर्स के छात्र रहे समीर ने कमर्शियल फार्मिंग करने का सपना देखा। करीब पांच साल पहले उन्होंने मौसमी सब्जियों की खेती से शुरुआत की। उसकी लागत और देखरेख के अनुभव से जाहिर हुआ कि किसी ऐसी चीज की फार्मिंग करना बेहतर होगा, जिसमें लागत या देखरेख की कम जरूरत हो। स्पष्टत: यहां निर्णय लेने के लिए आत्मविश्वास की जरूरत थी। उन्होंने खुद पर भरोसा करते हुए लेमनग्रास और खस की फार्मिंग शुरू की।
परिश्रम से कामयाबी
यह सच है कि वर्तमान समय में अधिकतर युवा अपने करियर के क्षेत्र का चुनाव करते समय फार्मिंग या कृषि पर विचार नहीं करते। लेकिन समीर का तरीका दूसरा था। उनके मुताबिक, जहां कमी नजर आती है वहां अवसर भी मिल सकता है। उनका सोचना सही साबित हुआ। फिलहाल वह करीब पच्चीस एकड़ जमीन में फार्मिंग कर रहे हैं और प्रति एकड़ सालाना लगभग डेढ़ लाख की कमाई कर रहे हैं। लेमनग्रास और खस का तेल निकालने के लिए वह एक डिस्टलेशन प्लांट भी लगा चुके हैं, जिनका परफ्यूम समेत कई सुगंधित चीजों में उपयोग होता है।
बेहतर भविष्य की उम्मीदें
उनकी व्यक्तिगत सफलता ने दूसरे लोगों के लिए भी अवसर पैदा किए हैं। वह इच्छुक लोगों को लेमनग्रास और खस की खेती करने तथा उनसे तेल निकालने का तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान करते हैं। अब वह इन तेलों का अपना एक ब्रांड स्थापित करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। ताकि रिटेल मार्केट में ग्राहकों को खुद ही अपने उत्पाद उपलब्ध करा सकें। कहना न होगा कि उन्हें आत्मविश्वास की पूंजी पर पूरा यकीन है।
सीख:
– दूसरे आपको क्या मानते हैं, इससे ज्यादा अहम यह है कि आप खुद को किस तरह देखते हैं
– किसी भी कारोबार में कुछ पाने से पहले कुछ निवेश करना पड़ता है। पूंजी का होना जरूरी है लेकिन इसका मतलब सिर्फ पैसा नहीं होता। किसी भी लक्ष्य को हासिल करने के लिए सबसे बड़ी पूंजी आपका आत्मविश्वास है।