सफलता का स्वाद चखने के लिए व्यक्ति का सिर्फ सपने देखना जरूरी नहीं है बल्कि उस सपने को पूरा करने के लिए उसके इरादों का पक्का होना भी बहुत आवश्यक है। जो लोग मन में शंका रखकर कोई भी कार्य करते हैं, सफलता ऐसे लोगों से कोसों दूर रहती है। लेकिन कामयाबी के सपने देखने और इसके लिए कर्मठता से कर्म करते हुए मंजिल की दिशा में लगातार आगे बढ़ने वाले व्यक्ति को सफल होने से कोई नहीं रोक सकता है। ऐसी ही कुछ सीख देती है यह कहानी।
एक शहर में एक लड़का अपने पिताजी के साथ रहा करता था। उसके पिता किसी बड़े आदमी के घोड़े के अस्तबल में काम किया करते थे। वह देखा करता था कि किस तरह उसके पिता पूरे दिन घोड़ों के साथ रहते है और इतनी मेहनत करते है फिर भी उन्हें वो मान सम्मान कभी नहीं मिलता जो उस घोड़े के मालिक को मिलता है।
तभी उस लड़के ने भी सपना देखना शुरू कर दिया कि एक दिन उसके पास भी इतनी ही दौलत होगी और उसके पास भी घोड़ों का एक बड़ा रेंच होगा और वह उनका मालिक भी बनेगा। एक दिन स्कूल में सभी बच्चो से कहा गया कि वो लोग घर जाकर अगली सुबह एक लेख लिखकर लायेंगे जिसमे ये होगा कि वो बड़े होकर क्या करना चाहते है और क्या बनना चाहते है तो इस पर उस लड़के ने रात भर जागकर एक बहुत ही बेहतरीन लेख लिखा और साथ ही अपने सपने को उसमे पूरी तरह बताते हुए उसमे उसमे 200 एकड़ के अपने सपनों वाले रेंच की फोटो भी बना दी और लड़के ने पूरे मन के साथ वो निबंध लिखा और अगले दिन शिक्षक को दे दिया।
शिक्षक ने सभी कापियां जांचने के बाद परिणाम सुनाया तो लड़के को अजीब लगा क्योंकि उन्होंने उस लड़के द्वारा मेहनत से लिखे गए उस लेख के लिए कोई मार्क्स नहीं दिए थे और उस पर बड़े अक्षरों से फेल लिख दिया इस पर लड़के ने टीचर से वजह पूछी तो टीचर ने कहा बेहतर होता वो कोई छोटा मोटा लेख लिखता क्योंकि तुमने जो लिखा है वो पूरी तरह असम्भव है तुम लोगों के पास कुछ नहीं है इसलिए ऐसा सम्भव ही नहीं लेकिन फिर भी मैं तुम चाहो तो तुम्हे दूसरा मौका दे सकता हूं। तुम इस निबंध को दुबारा लिखो और कोई वास्तविक लक्ष्य बना लो मैं तुम्हे दोबारा नंबर देने के बारे में फिर से सोच सकता हूं।
लड़का उस कॉपी को लेकर घर गया और उस पर काफी सोचा लेकिन उसे पूरी रात नींद नहीं आई अगले दिन वो टीचर के पास जाकर बोला आपको जो करना हो कर सकते है क्योंकि मेरा लेख यही है मैं इसे नहीं बदलना चाहता हूं और अगर आप मुझे फेल करना चाहते है तो आप अपने फेल को कायम रखिये और मैं अपने सपने को कायम रखता हूं।
बीस साल बाद वही शिक्षक कोई अंतर्राष्ट्रीय घुड़दौड़ देख रहा था तो दौड़ के पूरी हो जाने के बाद एक आदमी उनके पास आया और बड़े प्यार से उनको अपना परिचय दिया क्योंकि वह अपनी दुनिया में एक बहुत बड़ा नाम बन चूका था और यह वही छोटा लड़का था जिसमे सालों पहले यह सपना देखा था।
सीख-
–मन में शंका रखकर कोई भी कार्य करने से सफलता नहीं मिलती।
-सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत के साथ अपने इरादों को भी पक्का रखें।
-सफलता हासिल करनी है तो अपने लक्ष्य का चुनाव आप खुद करें।