इंसानों को भोजन, दवा और ईंधन देने वाले विश्व के 40 फीसदी पौधे विलुप्ति के कगार पर हैं। संयुक्त राष्ट्र समिट में जारी की गई एक रिपोर्ट से इस भयावह स्थिति का खुलासा हुआ। विश्व के पौधों और कवक की स्थिति पर 42 देशों के 200 से अधिक वैज्ञानिकों ने यह रिपोर्ट तैयार की है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि ये पौधे 39.4 प्रतिशत की दर से विलुप्त हो रहे हैं।
इन वैज्ञानिकों का कहना है कि ये पौधे इतनी तेजी से विलुप्त हो रहे हैं कि हमें उनकी विलुप्ति से पहले उनके नाम और विवरण देने के लिए समय के साथ दौड़ लगानी पड़ रही है। रिपोर्ट के बारे में रॉयल बॉटेनिक गार्डन के निदेशक प्रो. एलेक्सजेंडर अंटोनी ने कहा कि जो पौधे दुनिया को खाद्य सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन के मुद्दे से लड़ने का उपाय दे सकते थे, उनके विलुप्त हो जाने से दुनिया यह अवसर भी खो देगी।
जंगल कटने से आया संकट –
रिपोर्ट में बताया गया है कि बेतहाशा जंगल काटे जाने से इन पौधों के पनपने का अनुकूल वातावरण नष्ट होता जा रहा है इसलिए बहुत बड़ी तादाद में ये प्रजातियां नष्ट हो रही हैं। प्रो. एलेक्सजेंडर ने कहा कि अब हम विलुप्ति के दौर में जी रहे हैं, सभी देशों के नेताओं को इस स्थिति से निपटने के लिए तुरंत उपाय करने चाहिए।
1.4 लाख पौधों को खतरा-
रिपोर्ट में बताया गया कि विश्व में पौधों की प्रजातियों का कुल 39.4 प्रतिशत यानी 1.4 लाख पौधों को विलुप्ति का खतरा मंडरा रहा है। 2016 में विलुप्ति की दर का अनुमान 21 प्रतिशत माना गया था।
बिना उपयोग में आए ही नष्ट हो जाएंगे –
रिपोर्ट में बताया गया कि जो पौधे जल्दी नष्ट होने वाले हैं, उनमें से बहुत सी ऐसी प्रजातियां हैं जिनका अब तक इंसानी जरूरतों के लिए इस्तेमाल ही नहीं हुआ। सात हजार से ज्यादा खाद्य योग्य ऐसे पौधे नष्ट हो सकते हैं जिनसे खेती करके दुनिया की बड़ी आबादी का पेट भरा जा सकता था। अभी मौजूद 2500 प्रजातियों से करोड़ों लोगों तक बायो ईंधन पहुंच सकता पर वे निकट भविष्य में नहीं बचेंगे।
अभी दुनिया में बायो ईंधन बनाने के लिए मात्र छह फसलें- मक्का, गन्ना, सोयाबीन, ताड़ का तेल, रेपसीड और गेहूं का ही उपयोग होता है। संरक्षण विज्ञान के प्रमुख डॉ. कोलिन कहते हैं कि हमने भोजन, दवा व ईंधन बनाने में जंगली प्रजातियों की क्षमता की अनदेखी की है।
एक नजर में-
-2016 में 21% की दर से विलुप्ति का लगाया गया था अनुमान
-2020 में 39.4% दर से पौधों के लुप्त होने का अनुमान लगाया
-7000 से ज्यादा पौधों से भविष्य में खेती हो सकती थी
-2500 से ज्यादा पौधे करोड़ों लोगों को जैव ईंधन दे सकते थे
-723 औषधि वाले पौधे, 1,942 अन्य पौधे व 1,886 कवक पर संकट