मुंबई:बॉम्बे हाई कोर्ट ने शुक्रवार को यलगार परिषद मामले के आरोपी प्रोफेसर सुधा भारद्वाज की अंतरिम जमानत अर्जी को खारिज कर दिया। सुधा भारद्वाज भायखला महिला जेल में बंद हैं, जहां उनके स्वास्थ्य की लगातार निगरानी की जा रही थी। उन्हें पर्याप्त चिकित्सा व्यवस्था मुहैया कराई जा रही थी।
अदालत ने राज्य द्वारा दायर हलफनामे पर विचार किया, जिसमें 21 अगस्त की नवीनतम चिकित्सा रिपोर्ट शामिल थी। रिपोर्ट में उनका स्वास्थ्य सामान्य बताया गया है। अदालत में राज्य द्वारा यह भी कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो उन्हें सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में ट्रांसफर कर दिया जाएगा, जैसा कि एक अन्य आरोपी पी. वारा वर राव के मामले में किया गया था।
न्यायमूर्ति आर डी धानुका और न्यायमूर्ति वी जी बिष्ट की खंडपीठ में भारद्वाज की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान अधिवक्ता रागिनी आहूजा ने कहा कि 21 जुलाई और 21 अगस्त की मेडिकल रिपोर्ट में विरोधाभास था।
आहूजा ने बताया कि जुलाई की रिपोर्ट में कहा गया था कि उनके स्वास्थ्य के सभी महत्वपूर्ण पैरामीटर हाई थे। उन्हें दिल की इस्किमिया थी। वहीं, अगस्त की रिपोर्ट में कहा गया है कि उसके महत्वपूर्ण पैरामीटर सामान्य थे और ह्रदय इस्किमिया का भी जिक्र नहीं किया गया था। आहूजा ने कोर्ट में कहा कि कि हृदयाग्रंथि का उचित उपचार जरूरी है।
हालांकि, राज्य सरकार ने कहा कि भारद्वाज के स्वास्थ्य पर चौबीसों घंटे नजर रखी जा रही है और उन्हें उचित दवा दी जा रही है। हलफनामे में आगे कहा गया है कि प्रशासन भारद्वाज को सभी आवश्यक चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने के लिए बाध्य है और अगर जरूरत पड़ी तो उसे सर जेजे अस्पताल या यहां तक कि एक सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में भी स्थानांतरित कर दिया जाएगा, जैसा कि दूसरे के मामले में किया गया था।
21 अगस्त की रिपोर्ट को लागू करने और 21 जुलाई की रिपोर्ट के साथ तुलना करने के बाद, पीठ ने कहा कि दो रिपोर्टों में कोई विरोधाभास नहीं था। चूंकि भारद्वाज को चौबीसों घंटे निगरानी और आवश्यक दवा उपलब्ध कराई जा रही है, इसलिए उन्हें जमानत नहीं जी सकती है। कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी।
स्वास्थ्य के आधार पर अंतरिम जमानत की अर्जी खारिज करने के बाद भारद्वाज ने 11 जून को HC का दरवाजा खटखटाया था। भारद्वाज ने कोर्ट में कहा था कि वह विभिन्न बीमारियों से पीड़ित है। बाइकुला महिला जेल में भीड़भाड़ के कारण उसे कोरोना संक्रमण का खतरा है, इसलिए उसे जमानत दी जानी चाहिए।