लंदन:भारतीय बैंकों से धोखाधड़ी कर करीब 9 हजार करोड़ का लोन लेकर लंदन भागे विजय माल्या के ऊपर हाईकोर्ट ऑफ इंग्लैंड एंड वेल्स की तरफ से दिए गए एक फैसले का असर पड़ सकता है। 22 मिलियन डॉलर की वसूली के मामले में पंजाब नेशनल बैंक की अंतरराष्ट्रीय शाखा के पक्ष में इंग्लैंड और वेल्स हाईकोर्ट के एक फैसले ने व्यवसायी विजय माल्या के खिलाफ भारतीय बैंकों के एक कंसोर्टियम द्वारा यूके में चल रही ऋण वसूली बोली में एक मिसाल कायम की है।
पीएनबी मामले में 2012 से 2013 के बीच के दो ऋण शामिल हैं, जिनमें भारत के सुपीरियर ड्रिंक्स प्राइवेट लिमिटेड के व्यवसायी प्रदीप अग्रवाल शामिल हैं और क्रूज़ लाइनर, एमवी डेल्फिन को खरीदने और संचालित करने के लिए लोन के बकाए का भुगतान नहीं किया था।
लंदन में पीएनबी की सहायक कंपनी अंग्रेजी कानून के तहत चल रही है। प्रतिवादियों ने यह स्वीकार किया कि उन्होंने विभिन्न गारंटियां दी, लेकिन बैंक के दावे को सुनने के लिए अंग्रेजी न्यायालय के क्षेत्राधिकार को चुनौती दी और भारत में पेश किए गए नोटिसों के बारे में तकनीकी चीजों को भी उठाया।
कोरोना वायरस महामारी के कारण रिमोट से ही सुनवाई हुई। दो दिनों की हाल की सुनवाई के बाद जस्टिस सारा कॉकरिल ने प्रतिवादियों के सभी तर्कों को खारिज कर दिया और उन्हें बैंक की लागत 70 हजार पौंड के अंतरिम भुगतान का आदेश दिया।
गौरतलब है कि शराब कारोबारी और बंद पड़ी किंगफिशर एयरलाइंस के मालिक विजय माल्या पर भारतीय बैंकों के करीब 9 हजार करोड़ रुपये बकाए हैं। वे 2 मार्च, 2016 को भारत छोड़कर ब्रिटेन भाग गया थे। भारतीय एजेंसियों ने यूके की कोर्ट से विजय माल्या के प्रत्यर्पण की अपील की और लंबी लड़ाई के बाद यूके की अदालत ने 14 मई को माल्या के भारत प्रत्यर्पण की अपील पर मुहर लगा दी।