मुंबई: कानपुर में हुए एनकाउंटर को लेकर शिवसेना ने योगी आदित्यनाथ सरकार पर पार्टी के मुखपत्र सामना में निशाना साधा है। सामना की संपादकीय में शिवसेना ने सरकार से पूछा है कि तीन साल पुरानी एनकाउंटर सरकार की लिस्ट में विकास दुबे का नाम क्यों नहीं जुड़ पाया? शिवसेना के मुखपत्र सामना में लिखा है कि ऐसा ना हो विकास दुबे नेपाल भागकर नेपाल का दाउद इब्राहिम बन बैठे।
सामना की संपादकीय में शिवसेना ने लिखा गया कि गुंडों के गिरोह और उनके अपराध के कारण उत्तर प्रदेश जैसे राज्य दशकों से बदनाम हैं। वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में गुंडागर्दी का अंत कर दिया है, ऐसे दावे कई बार किए गए। लेकिन, कानपुर पुलिस हत्याकांड ने इन दावों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिस ने अब इस मामले में कड़ी कार्रवाई शुरू की है। मामले के मुख्य आरोपी विकास दुबे के एक साथी को गिरफ्तार कर लिया गया है और विकास की तलाश युद्धस्तर पर जारी है।
‘विकास दुबे को कार्रवाई की टिप पहले मिल गई थी’
सामना में शिवसेना ने आगे लिखा कि 2 जुलाई को विकास दुबे के गुंडों द्वारा आठ पुलिसकर्मियों की जिस प्रकार से निर्मम हत्या कर दी गई उससे देश हिल गया है। इन आठ पुलिसकर्मियों में एक पुलिस उप अधीक्षक रैंक का अधिकारी भी शामिल है। पुलिस टीम कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरू गांव में कुख्यात गुंडे विकास दुबे को दबोचने गई थी।
शिवसेना ने आगे लिखा कि विकास और उसके गुंडों ने पुलिस दस्ते पर अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। इस गोलीबारी में पुलिस उप अधीक्षक देवेंद्र मिश्रा, तीन उप निरीक्षक और चार कांस्टेबल सहित कुल आठ पुलिसकर्मी मारे गए। जिस तरह से दुबे और उसके गुंडों ने पुलिस पर गोलियां चलाईं, उससे ये साबित होता है कि दुबे को इस कार्रवाई की ‘टिप’ पहले ही मिल चुकी थी।
‘उत्तर प्रदेश में गुंडों और पुलिस में मिलीभगत है।’
शिवसेना ने आगे कहा कि दरअसल चौबेपुर पुलिस स्टेशन के प्रमुख विनय तिवारी को अब इसी आरोप में निलंबित कर दिया गया है, इसकी जांच भी जारी है। इससे पुलिस को कुछ जानकारी मिलेगी ही लेकिन ये घटना इस बात का भी प्रमाण है कि उत्तर प्रदेश में गुंडों और पुलिस में ‘मिलीभगत’है। अगले दिन इस हत्याकांड से नाराज योगी प्रशासन ने विकास दुबे के आलीशान घर को जेसीबी से जमीदोंज कर दिया यानी अगर विकास दुबे नहीं मिला तो उसका घर ढहा दिया गया। घर अवैध था ऐसा कहा गया। अवैध घर को ध्वस्त कर दिया गया ये सही ही हुआ लेकिन ‘शहीद’ पुलिसकर्मियों के उद्ध्वस्त घरों का क्या? क्या उनकी पत्नियों को उनका ‘सौभाग्य’, माता-पिता को उनका बेटा और बच्चों को उनका पिता मिल पाएगा? आज सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही नहीं बल्कि देश के लोगों के मन में भी ये सवाल उठ रहा है।
‘नेपाल का दाउद’ साबित ना हो जाए विकास दुबे
सामना में योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अब विकास दुबे के नेपाल फरार होने की आशंका के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा वहां की सीमाओं को सील करने की खबर है। हालांकि, हमारी नेपाल सीमा ऐसे मामलों में हमेशा चिंता का विषय रही है। फिलहाल नेपाल के साथ हमारे संबंध भी अच्छे नहीं हैं। इस परिप्रेक्ष्य में कल विकास दुबे हमारे लिए ‘नेपाल का दाउद’ साबित ना होने जाए। पुलिस ने विकास के एक साथी को हिरासत में लिया है। दावे किए जा रहे हैं कि विकास दुबे भी जल्द हाथ लगेगा। हालांकि कानपुर पुलिस हत्याकांड ने उत्तर प्रदेश की ‘एनकाउंटर स्पेशलिस्ट’ सरकार को बेनकाब कर दिया है।
‘गुंडों से सुरक्षित रहने के लिए क्या लॉकडाउन में रहना पड़ेगा’
शिवसेना ने आगे लिखा है कि आज जनता कोरोना लॉकडाउन में बंद है। कल गुंडों से सुरक्षित रहने के लिए लॉकडाउन में रहना पड़ेगा क्या? ऐसा सवाल वहां के लोगों के मन में है. सवाल कई हैं जिनका जवाब योगी सरकार को ही देना है क्योंकि उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश कहा जाता है। उत्तम प्रदेश पुलिस के खून से लथपथ हो गया। यह देश के लिए एक झटका है।