मुंबई:एक्टर मनोज बाजपेयी, हिंदी सिनेमा के सबसे शानदार एक्टर्स में से एक हैं। इन्होंने भी अपनी जर्नी की शुरुआत एक आउटसाइडर के तौर पर की थी। कोई इनका गॉडफादर नहीं था। लेकिन अपने काम के बल पर इन्होंने इंडस्ट्री में अपना सिक्का जमाया। बॉलीवुड में सत्या, अलीगढ, राजनीति, सत्याग्रह, गैंग्स ऑफ वासेपुर समेत कई फिल्में कीं। एक्टर ने शुरुआत थिएटर से की और तीन बार नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के लिए भी अप्लाई किया लेकिन कुछ हाथ न लग सका।
अपने सपने पूरे करने के लिए मनोज बाजपेयी ने काफी मेहनत की। हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान मनोज ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए और बताया कि किस तरह वह भी सुसाइड करने वाले थे लेकिन दोस्तों ने बचा लिया। मनोज, ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे को बताते हैं कि मैंने थिएटर किया, जिसके बारे में मेरे परिवार को आइडिया नहीं था। आखिर में मैंने अपने पिता को एक लेटर लिखा। वह काफी नाराज थे मेरे से और उन्होंने गुस्से में आकर 200 रुपये भी नहीं भेजे थे। परिवार सोचता था कि मैं किसी काम का नहीं। लेकिन मैंने इन सभी चीजों के चलते आंखों पर पट्टी बांध ली। मैं एक आउटसाइडर था, बीच में फिट होने की कोशिश में लगा हुआ था। मैंने हिंदी और इंग्लिश बोलनी सीखी और भोजपुरी तो मेरी भाषा थी ही। इसके बाद मैंने एनएसडी के लिए ट्राई किया। लेकिन तीन बार रिजेक्ट हुआ। मैं सुसाइड करने का ही सोच रहा था, ऐसे में मेरे दोस्तों ने मेरा बहुत साथ दिया। वह मेरे बराबर में सोने लगे और देखते कि मैं ठीक तो हूं। जब तक मुझे इस इंडस्ट्री ने अपना नहीं लिया सभी मेरे साथ रहे।
मनोज आगे कहते हैं कि मैं एक आइडियल हीरो फेस नहीं था। सभी ये सोचते थे कि मैं बड़ी स्क्रीन पर दिखने के लायक नहीं क्योंकि मेरा चेहरा हीरो वाला नहीं। घर का किराया देने के लिए पैसे नहीं हुआ करते थे और उस समय वडापाव भी महंगा लगा करता था। लेकिन, मेरे अंदर सक्सेसफुल होने की एक भूख थी। चार साल बाद मुझे ब्रेक मिला। महेश भट्ट के टीवी सीरीज में। एक एपिसोड के 1500 रुपये मिला करते थे। वह मेरी पहली कमाई थी। मेरे काम को पहचाना गया और इसके बाद मुझे बॉलीवुड में मेरी पहली फिल्म मिली, सत्या।
आपको बता दें कि इस समय मनोज बाजपेयी अपने परिवार संग मुंबई में रहते हैं। सोशल मीडिया पर थोड़े कम एक्टिव रहते हैं।