वसंतनगर। महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमणजी की प्रबुद्ध शिष्या साध्वी श्री आणिमाश्रीजी ने वसंतनगर में श्री महावीरचन्द धोका के सिमप निवास में आचार्य श्री तुलसी की 24 वीं पुण्यतिथि पर अपने श्रद्धासिक उद्गार व्यक्त करते हुए कहा आचार्य श्री तुलसी विकास के शिखर शलाका पुरुष थे। उन्होंने अपने चिंतन, सोच-समझ, विलक्षण शैली से तेरापंथ धर्मसंघ में विकास की श्रृंखला तैयार कर दी। आचार्य तुलसी स्वप्नदृष्टा महापुरुष थे। उन्होंने बंद आंखों से नही खुली आँखों से स्वप्न देखे और उनके द्वारा देखे गए सभी स्वप्न साकार हुए। क्यो? क्योंकि वह सिद्ध पुरुष थे। दृढ़ संकल्प के धनी थे। जीवन में एक-एक छड को, सपने को साकार करने के लिए समर्पित कर दिया। आचार्य तुलसी के बदन पर साधना का तेज था, सूर्य सी तेजस्विता थी। उनके नेतृत्त्व में तेजस्विता के साथ चंदा सी शीतलता व नवनीत जैसी कोमलता थी। उनकी नजरों से नेह का निर्झर प्रवाहित होता था। उनके हृदय में आकाश जैसी विशालता थी। चिंतन में सागर जैसी गंभीरता थी। चरित्र हिमालय से भी अधिक समुन्नत था। विलक्षण गुणों के समनाथ आचार्य तुलसी को श्रद्धासिक्त, भावभरा नमन, अभिवंदन।
साध्वी कर्णिकाश्रीजी, साध्वी सुधाप्रभाजी, साध्वी समत्वयशाजी, साध्वी मैत्रीप्रभाजी ने अपने भावों की सटीक प्रस्तुति देते हुए साध्वी आणिमाश्रीजी द्वारा रचित गीत का सुमधुर संगान किया। साध्वी वृन्द द्वारा जप का अनुष्ठान भी करवाया। महावीर धोका, प्रसन्न धोका, दीपक धोका, जितेंद्र धोका ने भावपूर्ण गीत का संगान किया। सुगनचन्द चोपड़ा ने तुलसी अष्टकम तथा प्रकाश आच्छा ने गीत द्वारा भावभिव्यक्ति दी। पद्मा धोका, संगीता, प्रीति, कीर्ति धोका, राजू देवी गोलक्षा, विजया संचेती, आशा देवड़ा, कांता आच्छा, मधु दुगड़ ने सामूहिक प्रस्तुति दी। पूरी परिषद ने कुछ न कुछ तप का संकल्प लिया। मास्टर मनन धोका, देवांश धोका, भृति धोका ने बाल प्रस्तुति दी। शुभकरण गोलक्षा, सुरेश संचेती, संपत गोलडा की उपस्थिति रही।
आचार्य तुलसी का 24 वां महाप्रयाण दिवस मनाया गया
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