मां आज आप नहीं है मेरे बीच पर हमेशा मुझे देख आज भी लोग कहते हैं कि तुम इतनी सुंदर हो तुम्हें जन्म देने वाली तुम्हारी जन्मदाता कितनी सुंदर होगी । आज मेरे विचारों को मेरी शब्दों के भाव को लोग सरहाते हैं तब मैं हमेशा कहती हूं कि यह विचार शक्ति का स्रोत और हर चीज को समझने की परख कि सही मायने में हकदार मेरी मां के संस्कार हैं आपकी डांट लगती थी मुझको हमेशा तीखी पर आज मेरी हर खुशी है आपके बिना फिकी तुम मेरे जीवन की रथ कि वह सारथी हो जिसने मुझे गर्भ से लेकर जन्म , बचपन ,योवन ,डोली और मेरे मातृ रूप मिलने तक मेरी छाया बनकर हमेशा मेरे साथ चली ।
आपका हमेशा मेरे लिए चिंतित होना ,
फिर छुप-छुपकर मेरे लिए रोना ,
मेरे देखते ही आपका चुप होना,
और डांट के साथ यह कहना ,
अब तुम बड़ी हो गई होना ।अपना ध्यान खुद रखो ना ,
अपना ध्यान खुद रखो ना। तुम्हारे एहसास का एहसास अब समझती हूं सब कहते हैं मैं बिल्कुल तुम जैसी हूं ।
दुनिया की दौलत आपके आगे कम है आज भी आंखें आपके लिए नम है
जीवन के हर स्नेह से ओतप्रोत हूं मैं पर आपके स्नेह प्यार का स्थान आज भी रिक्त लगता है वह स्थान आज भी रिक्त लगता है मेरी यश, कीर्ति, पद ,प्रतिष्ठा सब आपके आगे जीणी हैं मेरा यह जीवन सदा आपका ऋणी है
मां आपके लिए कोई भी रचना अपनी रक्त बूंद से लिखना चाहूं तो भी नहीं पूरी हो सकती ।
अभी तक वह स्याही और वह शब्द ही नहीं मिले जो मां की रचना पर पूर्ण विराम कर सके अनगिनत हैं मा आपके उपकार
मां आपकी याद आते ही सांसे फिर थमी ।मां आज भी मुझे लगती है आपकी कमी
आंखों में आ गई आज फिर नमी । मातृ दिवस के अवसर पर आपको भावों की श्रद्धांजलि अर्पण करती हूं
शत शत नमन करती हूं
आपकी (मीनू )….
मांः आपसे मिली मुझे एक नारी की पहचान, कैसे चुकाऊं आपका यह एहसान
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